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शयन करने आती हैं। उसकी मंदिर चूड़ाओं के चिन्तामणि- दीपों से आसमुद्र पृथ्वी आलोकित है । उसके राजन्यों और धनकुबेरों के कोषागारों में वसुन्धरा के सारभूत सुवर्ण-रत्नों की राशियाँ लोट रही हैं। उसके चैत्य -काननों में निरन्तर श्रमणों की धर्मवाणी प्रवाहित है । उसके लोक- हृदय पर अनुत्तर सुन्दरी आम्रपाली शासन करती है । महानायक सिंहभद्र और आचार्य महाली जैसे महाधनुर्धरों के दिगन्तवेधी तीर उसके संरक्षक हैं । वह संसार में, सर्वतंत्र स्वतंत्र गणतंत्र के रूप में सर्वोपरि विख्यात है । और उसके संथागार में राज - सिंहासन नहीं, त्रैलोक्येश्वर जिनेन्द्र भगवान का सर्वजयी सिंहासन बिछा है । समकालीन विश्व की चूड़ामणि नगरी है वैशाली, महाराज । उसका अस्तित्व खतरे में है, बात समझ में नहीं आती, भन्ते मातामह ! और मुझ जैसा अनजान अकिंचन उसका त्राण करें ? विचित्र लगता है, राजन् ! '
'वर्द्धमान, वैशाली की यह अप्रतिम समृद्धि और उसकी स्वतंत्र सत्ता ही तो आज सारे आर्यावर्त के राजुल्लों की आँखों में खटक रही है । मगध सम्राट बिंबिसार श्रेणिक ताम्रलिप्ति से पार्शव देश तक एक महासाम्राज्य स्थापित करने का सपना देख रहे हैं । चिरकाल की अजेय वैशाली ही उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा है । वैशाली जय हो जाये, तो फिर आर्यावर्त के अन्य सारे राजतंत्र और गणतंत्र उसे अपनी मुट्ठी में दीखते हैं ।'
' पर अजेय शक्तिशाली वैशाली को भय किसलिए ? '
'सदा आतंक और युद्ध की ललकारों तले जीना भयानक और खतरनाक ही कहा जा सकता है, बेटा ? भेड़िये का भरोसा क्या ? कब कहाँ से टूट पड़े !
'सम्राट बिम्बिसार तो आपके जामाता हैं, भन्ते तात ! और मेरी विश्वमोहिनी मौसी चलना, सुनता हूँ, उनके हृदय - राज्य पर एकतंत्र शासन करती हैं। आपको अपनी ऐसी समर्थ बेटी का भी कोई सहारा नहीं ? और फिर आर्यावर्त के कौन से राजेश्वर आपके जामाता नहीं ? अवन्तीपति चण्ड प्रद्योत कौशाम्बीनाथ मृगांक, पश्चिम समुद्राधिपति उदायन, पूर्व सागरेश्वर अंगराज दधिवाहन, दशार्णपति दशरथ, आर्यावर्त के ये सारे ही शिरोमणि महाराजा आपके जामाता हैं । ये सब मेरी सुन्दरी मौसियों की गोद के छौने बने हुए हैं । और मगध का दुर्दण्ड प्रतापी राजकुमार अजातशत्रु और भवनमोहन वत्सराज उदयन आपके भांजे हैं। आपकी बेटियों ने इन राजकुलों की पीढ़ियों
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