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________________ 10 जनवरी 2011 सन्मार्गप्रवृत्ति हेतु गुरूपदेश का महत्त्व गुरु गुण लिख्या न जाय जैन परम्परा में गुरु का वैशिष्ट्य दिशाहीन युवा और आध्यात्मिक गुरु युवा पीढी को आध्यत्मिक गुरु की आवश्यकता आचार्य श्री हस्ती में गुरु तत्त्व सद्गुरु एवं उनका सान्निध्य लाभ अभी चलना है बाकी जिनवाणी साधु रहे तीन विषों से सावधान सामायिक से समता का अभ्यास श्रमण की प्रमुख विशेषताएं श्रमणाचार परिचायक कतिपय पारिभाषिक शब्द आध्यात्मिक-साधना एवं श्रमणाचार आदर्श श्रमण-जीवन का स्वरूप श्रमण परम्परा का वैशिष्ट्य श्रमण जीवन की महत्ता श्रमण जीवन में अप्रमत्तता श्रमणों एवं श्रावकों का पारस्परिक सम्बन्ध श्रमण-जीवन में गुणस्थान - आरोहण आचार्य हस्ती के श्रमण-जीवन का वैशिष्ट्य श्रमण जीवन खण्ड Jain Educationa International : सुश्री ऋचा शर्मा : श्री देवेन्द्र नाथ मोदी : श्री मनोहरलाल जैन : श्री पदमचन्द गाँधी : श्रीमती कमला सुराणा : डॉ. मंजुला ब : श्री पवन कुमार जैन मधुरव्याख्यानी श्री गौतममुनि जी म.सा. : आचार्यप्रवर श्री हस्तीमल जी म.सा. आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्र जी म.सा. आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. : उपाध्याय श्री रमेशमुनि जी शास्त्री : श्री रणजीत सिंह कूमट : प्रो. सागरमल जैन : : प्रो. दयानन्द भार्गव : श्री सम्पतराज चौधरी : श्री प्रेमचन्द कोठारी : न्यायाधिपति श्री जसराज चौपड़ा : श्री धर्मचन्द जैन : श्री ज्ञानेन्द्र बाफना दिगम्बर ग्रन्थ मूलाचार में प्रतिपादित श्रमणाचार : डॉ. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' दशवैकालिक सूत्र में गुप्तित्रय का विवेचन : डॉ. श्वेता जैन आचारांग सूत्र में श्रमण - जीवन : श्री मानमल कुदाल : श्रमण संघीय श्री सौभाग्यमुनि जी 'कुमुद' श्रमणवर्ग में अनुशासनहीनता पर नियन्त्रण श्रमण-सूचक पारिभाषिक शब्द : दशवैकालिक निर्युक्ति के आलोक में डॉ. हेमलता जैन (ललवाणी) : For Personal and Private Use Only 7 123 139 142 144 148 151 157 170 173 180 192 202 209 215 222 225 231 237 249 255 260 270 280 290 294 www.jainelibrary.org
SR No.003844
Book TitleJinvani Guru Garima evam Shraman Jivan Visheshank 2011
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain, Others
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2011
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size8 MB
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