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प्रकाशकीय
अध्यात्म, धर्म, दर्शन, नैतिकता, इतिहास, संस्कृति एवं जीवन-मूल्यों की संवाहक जिनवाणी मासिक पत्रिका विगत 67 वर्षों से आपकी सेवा में पहुँच रही है। इसका शुभारम्भ जनवरी 1943 में हुआ, तबसे समय-समय पर विभिन्न महत्त्व के विषयों पर विशेषाङ्कों का प्रकाशन हुआ है। अब जिनवाणी के 16 विशेषाङ्क प्रकाशित हो चुके हैं, यथा- 'स्वाध्याय' (1964), ‘सामायिक' (1965), 'तप' (1966), 'श्रावक धर्म' (1970), 'साधना' (1971), 'ध्यान' (1972), 'जैन संस्कृति और राजस्थान' (1975), 'कर्म - सिद्धान्त' (1984), 'अपरिग्रह' (1986), ' आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. श्रद्धांजलि अंक' (1991), 'आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. : व्यक्तित्व एवं कृतित्व' (1992), 'अहिंसा' (1993), 'सम्यग्दर्शन' (1996), 'क्रियोद्धार : एक चेतना' (1997), 'जैनागम' (2002), 'प्रतिक्रमण' (2006)।
अध्यात्मयोगी युगमनीषी आचार्यप्रवर पूज्य 1008 श्री हस्तीमल जी महाराज उच्चकोटि के गुरु एवं श्रमण थे। उनकी जन्म-शताब्दी को अध्यात्म चेतनावर्ष ( 30 दिसम्बर 2009 - 18 जनवरी 2011 ) रूप में मनाया जा रहा है। इसी उपलक्ष्य में यह विशेषाङ्क 'गुरु- गरिमा एवं श्रमण जीवन' विषय पर प्रकाशित किया जा रहा है।
मानव-जीवन में गुरु प्रकाश-स्तम्भ की भांति होते हैं, जो व्यक्ति की पात्रता के अनुसार उसका मार्गदर्शन करते हैं। वे हमारे अज्ञान - अन्धकार को दूर कर ज्ञान-प्रकाश का संचार करते है तथा दुर्गुणों को दूर कर सद्गुणों का आधान करते हैं। उनकी महिमा अपरम्पार है। गुरुओं में भी जब कोई श्रमण गुरु हो तो ज्ञान के साथ हमारा आचरण पक्ष भी निर्मल एवं सुदृढ़ बनता है, क्योंकि श्रमणगुरु आचरणनिष्ठ सन्त होते हैं। उनका जीवन अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह का निदर्शन होता है तथा अनेक व्रत-नियमों से शोभित होता है। इस विशेषाङ्क को दो खण्डों में विभक्त किया गया है। प्रथम खण्ड गुरुगरिमा से सम्बद्ध है तथा द्वितीय खण्ड श्रमण-जीवन की महत्ता का प्रतिपादन करता है।
विशेषाङ्क में जिन आचार्यों, सन्तों एवं महनीय विद्वान् लेखकों के अमूल्य विचारों से सम्पृक्त लेख हमें प्राप्त हुए हैं, उनका हम हृदय से आभार ज्ञापित करते हैं। जिन श्रद्धालु महानुभावों ने हमें विज्ञापन प्रेषित किए हैं, उनकी उदारता एवं धर्मभावना का आदर करते हैं तथा हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
पी. शिखरमल सुराणा
अध्यक्ष
10 जनवरी 2011 जिनवाणी
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सम्पतराज चौधरी कार्याध्यक्ष
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विरदराज सुराणा मन्त्री
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