________________
जिनवाणी हिन्दी-मासिक
मंगल - मूल धर्म की जननी, शाश्वत, सुखदा, कल्याणी । द्रोह, मोह, छल, मान- मर्दिनी, फिर प्रगटी यह 'जिनवाणी' ।।
गुरु-गरिमा एवं
श्रमण जीवन विशेषाङ्ग
事
Jain Educationa International
परस्परोपग्रहो जीवानाम्
सम्पादक डॉ. धर्मचन्द जैन
सह-सम्पादक
नौरतन मेहता डॉ. श्वेता जैन
प्रकाशक
सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, बापू बाजार, जयपुर
10 जनवरी 2011
जिनवाणी
3
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org