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मसीही धर्म में कर्म की मान्य
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जिसके द्वारा मसीह धर्म में कर्म का ज्ञान होता है कि अच्छे कर्म करने पर भी विपत्ति आती है, बिना कर्म किये भी जन्म से अंधा होना पड़ता है और अशुभ कर्म करने के बाद भी उद्धार हो जाता है। पुराने नियम (old testament) में अय्यूब नामक एक धर्मी व्यक्ति का बयान है। परमेश्वर उसे शैतान के हाथों सौंपता है और उस पर विपत्ति आती है फिर भी अय्यूब ईश्वर पर दोष नहीं लगाता जैसा कि लिखा है-"इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया"१ और शैतान परमेश्वर के भक्त के सामने पराजित होता है क्योंकि जैसा कहा गया है कि "धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं परन्तु यहोवा उनको उन सब से मुक्त करता है।"३ विपत्ति पड़ने पर भी अय्यूब विचलित नहीं हुआ और उसके कर्मों के द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई।
दूसरा वर्णन एक जन्म के अंधे का है जो नये नियम में यूहन्ना के नौव अध्याय में वर्णित है । प्रभु यीशु मसीह के चेले उससे पूछते हैं "रब्बी किस ने पाप किया था कि यह अन्धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता-पिता ने ?" यीशु ने उत्तर दिया कि न तो इसने पाप किया था, न इसके माता-पिता ने, परन्तु यह इसलिये हुआ कि परमेश्वर के काम उसमें प्रकट हों।" इसी कारण मसीही धर्म पुनर्जन्म के सिद्धान्त में विश्वास नहीं करता।
तीसरा वर्णन प्रभु यीशु मसीह के एक मित्र लाजर का है जो यूहन्ना रचित सुसमाचार के ग्यारहवें अध्याय में वर्णित है कि प्रभु यीशु मसीह को लाजर की बीमारी का संदेश भेजा जाता है और उस समय वे कहते हैं कि "यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिए है कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।"
एक अन्य उदाहरण डाकू का है जिसने जीवन भर अशुभ कर्म किये, प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु के समय दो डाकू भी उनके साथ क्रूस पर लटकाये गये थे । एक प्रभु यीशु मसीह की निन्दा कर कह रहा था कि अपने आप को और हमें बचा । दूसरा डाकू पहिले डाकू को डांटता है कि हम तो अपने कुकर्म का दण्ड पा रहे हैं किन्तु इस पवित्र मनुष्य ने क्या किया ? और तब वह यीशु मसीह से कहता है कि "जब तू अपने राज्य में पाए, तो मेरी सुधि लेना।" प्रभु यीशु मसीह ने उस डाकू से कहा कि "अाज हो तू मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा।"
___ इन उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य अपने पूर्व जन्म के कर्मों को नहीं भोगता और न ही पूर्वजन्म के कर्मों का कोई उत्तरदायित्व है। १. अय्यूब १ : २२
२. भजन संहिता ३४ : १६ ३. सम्पूर्ण अध्ययन के लिए पढ़िये अय्यूब १ और २ ४. लूका २३ : ३६-४३
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