________________
संघ भेद .
४२६ चूकि श्वेताम्बर आगमोंके अनुसार भी महावीर केवल एक वर्ष तक चीवरधारी रहे थे । अतः जब गोशालकने उन्हें देखा तब वे अवश्य ही नग्न होना चाहिये। इसके विपरीत गोशालक के पास उस समय वस्त्र कमण्डलु जूता आदि उपकरण थे। जिन्हें उसने महावीरका शिष्य बननेसे पूर्व किसी ब्राह्मणको दे दिया। महावीरको अनायास प्राप्त आहार तथा पूजा सत्कारने उसे उनकी ओर आकृष्ट किया। तत्पश्चात् 'महावीरने ही उसे प्रव्रजित किया, मुण्डित किया, शिक्षित किया और बहुश्रुत बनाया। किन्तु कुछ बातोंको लेकर महावीरसे उनका मतभेद हो गया। और वह 'श्रावस्तीमें एक कुम्हारीके घरमें रहने लगा। महावीरसे अलग होनेके कारण ही उसने आजीविकोंका संघ बनाया। और अपनेको 'जिन कहने लगा। उसके अन्दर महावीरकी तरह ही चौबीसवां तीर्थङ्कर बननेकी भावना थी। इसलिये अपने आजीविक संघका निर्माण भी उसने मोटे तौर पर उसी बाह्य भूमि पर किया होगा, जिसपर महावीरका निग्रन्थ संघ स्थापित था । अतः गोशालककी नग्नता का प्रभाव महावीर पर प्रतीत नहीं होता किन्तु महावीरको नग्नता से प्रभावित गोशालकने अपने आजीविक सम्प्रदायके साधुओंको नग्न रहनेका नियम बनाया यही अधिक सम्भव है।
१-'साडिअाश्रो य पाडियायो य कुडियाश्रो य चित्तफलगं च माहणे अायामेइ ।' -भ० १५ श०, १ उ० ।
२-'भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुण्डाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव बहुस्सुई कए।'
-भ०, १५ श०। ३-'तए णं गोसाले मंरवलिपुत्ते......"सावत्थि णयरिं""हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणंसि आजीविय संघ संपरिवुडे "विहरइ ।'
-भ० १५ श०।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org