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वीर निर्वाण सम्वत्
२६५ मुख्य आधार माना गया है। उसमें बताया है कि महावीर निर्वाण से १५५ वर्षे बाद चन्द्रगुप्त राजा हुआ।
विचार श्रेणिकी गाथामें १५५ वर्षका समय केवल नन्दोंका बतलाया है और उसमें ६० वर्ष पहले पालकका समय दिया है। अतः उसके अनुसार चन्द्रगुप्तका राज्यरोहणकाल वीर निर्वाण से २१५ वर्ष बाद होता है। परन्तु हेमचन्द्रने १५५ वर्ष बाद बतलाया है । अतः ६० वर्षका अन्तर पड़ता है। ___ इस अन्तरको स्पष्ट करते हुए मुख्तार सा० ने लिखा है कि हेमचन्द्रने ६० वर्षकी यह कमी नन्दोंके राज्यकालमें की है, उनका राज्यकाल ६५ वर्ष बतलाया है, क्योंकि नन्दोंसे पहले उनके और वीर निर्वाणके बीचमें ६० वर्षका समय उन्होंने कुणिक श्रादि राजाओंका माना ही है। ऐसा मालूम होता है कि पहले से वीरनिर्वाणके बाद १५५ वर्षके भीतर नन्दोंका होना माना जाता था, परन्तु उसका यह अभिप्राय नहीं था कि वीरनिर्वाणके ठीक बाद नन्दोंका राज्य प्रारम्भ हुआ। बल्कि उससे पहले उदायी तथा कुणिकका राज्य भी उसमें शामिल था। परन्तु पीछेसे १५५ वर्षकी गणना अकेले नन्दोंके लिए रूढ़ हो गई और
उधर पालक राजाके अभिषिक्त होनेकी घटना उसके साथ जुड़ । जानेसे काल गणनामें ६० वर्षकी वृद्धि हुई और उसके फलस्वरूप वीर निर्वाणसे ४७० बर्ष बाद विक्रमका राज्याभिषेक माना जाने लगा । हेमचन्द्राचार्यने दो श्लोकोंसे उक्त भूलका सुधार कर दिया। चन्द्रगुप्तके राज्यारोहण समयकी वर्ण संख्या १५५ में आगेके -५५ वर्ष ( १०८+३०+ ६०+१३+४ = २५५ ) जोड़ देनेसे ४१० होते हैं। यही वीर निर्वाणसे विक्रमका राज्यारोहण काल है। परन्तु महावीर निर्वाण और राज्यारोहण काल ४१० में राज्यकाल के ६०
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