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भगवान् महावीर
२३५. उनसे पूछा कि आपलोग कुणिककी माँग पूरी करेंगे या युद्ध करेंगे ?
इसी तरह पावामें महावीर स्वामीका निर्वाण होने पर उक्त १८ गणराजाओं के एकत्र होने तथा निर्वाण महोत्सव मनानेका उल्लेख कल्पसूत्र में है । इससे इस संगठन तथा चेटककी शक्तिमत्ता, ऐक्य तथा प्रभावशालिताका पता चलता है ।
फिर भी बौद्ध ग्रन्थोंमें चेटकका नाम भी न पाया जाना आश्चर्यजनक है । इसका कारण चेटकका भगवान महावीरका अनुयायी तथा सम्बन्धी होना संभव है, क्योंकि महावीरको बुद्ध अपना प्रबल प्रतिद्वन्दी मानते थे - जिसका समर्थन बौद्ध उल्लेखोंसे होता है। चेटकके सम्बन्धमें डा० याकोबीने ठीक ही लिखा है- 'जैनोंने अपने तीर्थङ्कर महावीरके परम भक्त तथा सम्बन्धी चेटककी स्मृतिको सुरक्षित रखा है। उन्हींके प्रभावके कारण वैशाली जैन धर्मका गढ़ बनी हुई थी, जबकि बौद्ध उसे पाखण्डियों और विद्रोहियोंका शिक्षालय मानते थे । ( से० बु० ई), जि० २२, प्रस्ता० पृ० १३ ) । अस्तु, चेटके सात पुत्रियाँ थीं । जिनमें से सबसे बड़ी त्रिसला ज्ञातृ क्षत्रिय सिद्धार्थसे विवाही थी और भगवान महावीरकी जननी थी । तथा छठी चेलना मगधके राजा श्रेणिक विम्बसारसे विवाही थी और इस तरह मातृ पक्षके द्वारा मगध के राजवंशके साथ महावीरका निकट सम्बन्ध था । चेलनाके साथ सम्बन्ध होनेसे पूर्व श्रेणिक' बौद्ध धर्मका अनुयायी था । चेलना के प्रभाव से ही वह महावीरका परम भक्त और उनकी उपदेश सभाका प्रधान श्रोता बना ।
१- देखो - बृ० क० को०, में श्रेणिक राजा की कथा ।
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