________________
भगवान् महावीर
२२६ कोटिग्राम आये । कोटिग्रामसे नादिका और नादिकासे वैशाली आये । इस तरह पाटलीपुत्रसे वैसालीके रास्ते पर गंगा और वैशालीके बीच में कोटिग्राम अवस्थित था।
कोटिग्राम और वैशालीके मध्यमें नादिका थी । डा० याकोवीने नातिका' शब्द पर टिप्पणीमें लिखा है-'जिस वाक्यमें 'नातिका आया है उसे टीकाकारने तथा आधुनिक अनुवादकों ने गलत समझा है ऐसा प्रतीत होता है। महापरिनिव्वाणसुत्तके अनुवादमें (से० बु० ई०. जि० ११) एक नोट ( पृ०२४) में, रे डेविड कहते हैं कि-'प्रथम तो दो बार नादिकाका प्रयोग बहु वचनमें किया है और तीसरी बार एक वचन में । बुद्धघोष उसकी व्याख्यामें कहते हैं कि एक ही जलाशयके तटपर एक ही नामके दो ग्राम थे। मेरी रायमें बहुबचन 'नातिका' शब्द क्षत्रियोंका वाचक है और एक वचन नातिका शब्द गिंजकावसथ' का विशेषण है.............।' मेरा विचार है कि 'नादिका' शब्द अशुद्ध है और नातिका शुद्ध है। श्री रे डेविडने अपने अनुवादकी शब्दसूचीमें यह लिखकर भी कि 'नादिका पटनाके पास है' गलती की है। महावग्गके वर्णनसे यह स्पष्ट है कि नातिका और कोटिग्गाम वैशालीके पास हैं। (से० बु० ई०, जि० २२, प्रस्ता० पृ० १० का टिप्पण नं० २)।
राहुलजीने यद्यपि नादिका शब्द ही रखा है। किन्तु उनका अभिप्राय वही है, जो 'नातिका' शब्दको शुद्ध मानकर डा० याकोवी का था, क्योंकि राहुलजीने भी नादिका शब्दके टिप्पणमें लिखा है-'एक ज्ञातृयो ( -आति,=ज्ञात =ज्ञातर =जातर= जतरिया=जथरिया =जैथरिया) के गाँव में । नादिका = ज्ञातका = नत्तिका = त्वत्तिका = रत्तिका - रत्ती, जिसके नामसे वर्त
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org