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________________ भगवान् पार्श्वनाथ कतिपय जैनउल्लेख उत्तराध्ययन सूत्रके २३ व अध्ययनका केशी गौतम संवाद भी इस सम्बन्धमें उल्लेखनीय है । उसमें लिखा है संबुद्धप्पा य सव्वण्णु तस्य लोगप्पदीवस्स केसी कुमारसमणे, १ - जिणे पासेति णामेणं, रहा, लोग पूइए । धम्मतित्थयरे जिणे ॥ १ ॥ सि सीसे महायसे । विजाचरणनारगे ॥ २ ॥ सीसघाउले | बुद्ध, सावत्थि पुरिमागए ॥ ३॥ हिना सुए गामाशुगामं रीयंते, तेंदुयं नाम उज्जाणं, तम्मी नगरमंडले । फासुए सेज्जसंथारे, तत्थवासमुवागए ॥ ४ ॥ ग्रह तेणेव कालेणं धम्मतित्थयरे जिणे । भगवं वद्धमाणुति, सव्वलोगम्भि विस्तुए ॥ ५ ॥ तस्स लोगपईवस्स श्रासि सीसे महायसे । भयवं गोयमे नाम, विज्जाचरणपारगे ॥ ६॥ सीससंघसमाउले | वारस गविबुद्धे गामाशुगामं रीयंते से विसावत्थी मागए ॥ ७ ॥ कोट्टगं गाम उज्जाणं तम्मि नयरमंडले । फासुए सिज्जसंथारे, तत्थ वासमुवागए ॥ ८ ॥ X X सीसारणं विन्नाय ग्रह ते तत्थ *...जे कुलमवेक्खंतो, तेंदुयं पुच्छामि ते महाभाग ! केसी प्रवितक्कयं । वणमागो ॥ १५ ॥ गोममव्ववी | इणमव्ववीं ।। २२ ।। "तो केसी श्रणुन्नार, गोयमं Jain Educationa International २१९ X For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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