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________________ प्राचीन स्थितिका अन्वेषण .. मिट्टीकी बनी आकृतियों और मूर्तियोंसे यह पता चलता है कि दुर्गा और शिवलिंगको पूजनेकी प्रथा द्रविड़ोंमें प्रचलित थी। और इस तरह शिवपूजा बहुत प्राचीन मानी जाती है। ___ योग सम्प्रदाय वेदोंसे भी प्राचीन है। मोहेंजोदड़ो निवासी योगकी प्रणालियोंसे भी परिचित थे । योगशास्त्रोंके अनुसार योगके लिए तीन वस्तुएँ आवश्यक हैं-आसन, मस्तक ग्रीवा और धड़का सीधा रहना तथा अर्ध निष्मीलित नेत्र जो नासिका के। अग्रभाग पर स्थिर हों। श्री रामप्रसाद चन्दाके अनुसार मोहेंजोदड़ोंसे प्राप्त पत्थरकी मूर्ति जिसे मि० मैके पुजारीकी मूर्ति बतलाते हैं, वह योगी की मूर्ति है। सिन्धु घाटीके वासी मनुष्योंका धर्म क्या था ? इस विषयमें विचार करते हुए श्री रामप्रसाद चन्दाने लिखा था-"सिन्धवासी मनुष्योंके धर्मके विषयमें सूचना प्राप्त करनेका प्रमुख उपाय मोहेंजो-दड़ों और हरप्पासे प्राप्त मोहरों ( seals ) का वृहत् संग्रह है। उन मोहरों पर अंकित गूढाक्षरोंको अभी तक स्पष्ट नहीं किया जा सका है और इसीसे उनका भाषान्तर भी नहीं हो सका है। इससे हमें केवल उनके अकार-प्रकार पर ही निर्भर रहना पड़ता है। उन मोहरोंपर पशुओंके चित्र अंकित हैं। किन्तु इस परसे यह अनुमान करना कि सिन्धु घाटीके मनुष्योंका धर्म पशुपूजा था, या उनके देवता पशुरूप थे, बड़ा गलत होगा। जैसा कि भरहुत और साँचीके स्तूपोंका निर्माण करानेवाले बौद्ध साधुओंका धर्म वृक्षों और सोकी पूजा अनुमान कर लेना गलत है। भरहुत और साँचीके स्तूपोंका निर्माण करानेवालोंके धर्मकी रीढ़ उन बुद्धों अथवा मानवोंकी पूजा थी, जिन्होंने ध्यान, समाधि अथवा योगके द्वारा पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया था। इसमें तो कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि सिन्धु घाटीका धर्म भी इतना ही Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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