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________________ विषयानुक्रमणी ५५३ २५८ प्रश्नांक प्रश्नांक अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें आनुपूर्वी नामकर्म ४६७ भाव ४३३ आबाधाकाल ५५१ अविरत सम्यग्दृष्टी गुणस्थान आबाधा कालका नियम ५५२ कितने काल तक होते हैं ४१६ आबाधावली ७४१ अविरत सम्यग्दृष्टी गुणस्थानमें आभ्यन्तर उपकरण २१४ बन्ध ६४१ आभ्यन्तर उपकरण निवृत्ति २१० अविरत सम्यग्दृष्टो गुणस्थानमें आयुकर्म ४४३ बन्ध व्युच्छित्ति ६४२ आयुकर्मके भेद ४७० अविरत सम्यग्दृष्टी गुणस्थानमें आयुकर्मका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध ५४५ उदय . ६६६ आयुकर्मको आबाधा ५५४ अविरत सम्यग्दृष्टी गुणस्थानमें आयुकर्मका नियम उदय व्युच्छित्ति अविरत सम्यग्दष्टी गणस्थानमें आहारक सत्त्व ६६१ आहारकके गुणस्थान ३८५ अविरत सम्यग्दष्टी गणस्थानमें आहारक काययोग । २५७ सत्त्व व्युच्छित्ति ६६२ आहारक मिश्र काययोग अविरत सम्यग्दष्टी गणस्थानको आहारक और आहारकमिश्र एक समय कम तेंतीस काययोग किसके ? २६३ सागर आयुवालोंमें क्यों उत्पन्न कराया ४१७ इतर निगोद २४४ अशुभ नाम ५१८ इन्द्रिय २०५ असंयम ३३६ इन्द्रिय पर्याप्ति असंप्राप्तासृपाटिका संहनन इन्द्रियके भेद अस्थिर नामकर्म इषगति २६७ ईहाज्ञान २६२ आ आकारयोनिके भेद उच्छवास नामकर्म ५०२ आगाल ७३५ उच्छिष्टावली ७४४ आताप नामकर्म उत्कर्षण ५८२ आत्मांगुल उष्कर्षण और अपकर्षणमें कितने आत्मांगुलसे किसका माप परमाणु ऊपर नीचे आदेय नामकर्म ५२३ मिलाये जाते हैं? ५८६ १६१ २०६ ४६२ ५१६ १७३ ५०३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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