________________
करणानुयोग-प्रवेशिका ८०.प्र०-लौकान्तिक देवोंका विशेष स्वरूप क्या है ? ___ उ०-लौकान्तिक देव ब्रह्मलोक स्वर्गके अन्तमें रहते हैं, सब समान होते हैं, ब्रह्मचारी होनेसे देवषिके तुल्य माने जाते हैं। अन्य देव उनकी पूजा करते हैं, तीर्थङ्करोंके तपकल्याणकके समय उन्हें प्रतिबोधन करनेके लिए जाते हैं । इनको आयु आठ सागर होती है।
८१.३०-स्वर्गसे चयकर निर्वाण पानेवाले देव कौन कौन हैं ?
उ०-सौधर्म स्वर्गका इन्द्र, उसको पट्टदेवी शची, उसके चारों लोकपाल, सानत्कुमार आदि सब दक्षिण इन्द्र, सब लौकान्तिक देव और सर्वार्थसिद्धिके सब देव वहाँसे चयकर मनुष्य हो, नियमसे मोक्ष प्राप्त करते हैं।
८२. प्र०-कौन जीव किस स्वर्ग तक जन्म ले सकता है ?
उ -असंयत या देशसंयत मनुष्य और असंयत तया देशसंयत तिर्यञ्च अधिकसे अधिक १६वें स्वर्ग तक जन्म लेते हैं। द्रव्यलिंगी निर्ग्रन्थ साधु उपरिम ग्रैवेयक तक जन्म ले सकते हैं। सम्यग्दष्टि महावती सर्वार्थसिद्धि तक जन्मले सकते हैं। सम्यग्दष्टि भोगभूमियाँ जीव सौधर्म यूगल तक और मिथ्यादष्टि भोगभूमियाँ जीव भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिष्क देवोंमें जन्म लेते हैं। पञ्चाग्नितप तपनेवाले तपस्वी अधिकसे अधिक भवनवासी आदि तीन प्रकारके देवोंमें जन्म लेते हैं। चरक और परिव्राजक संन्यासी ब्रह्मस्वर्ग तक तथा आजीवक सम्प्रदायके साधु सोलहवें स्वर्ग तक जन्म ले सकते हैं।
८३. प्र०-देवोंके विशेष भेद कौनसे हैं ? उ०-देवोंके चार भेद हैं-भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक । ८४. प्र०-भवनवासी देवोंके कितने भेद हैं?
उ.-भवनवासी देवोंके दस भेद हैं-असुरकुमार, नागकुमार, विद्युत्कुमार सुपर्णकुमार, अग्निकुमार, वातकुमार, स्तनितकुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार और दिक्कुमार।
८५. प्र०-भवनवासी देव कहाँ रहते हैं ?
उ०-रत्नप्रभा पृथिवीके पङ्कबहुल भागमें असुरकुमारोंके भवन हैं और खरभागमें शेष नौ कुमारोंके भवन हैं। भवनोंमें रहनेके कारण इन्हें भवनवासी कहते हैं।
८६. प्र०-भवनवासी देवोंकी आयु कितनी है ?
उ०-असुरकुमारोंकी एक सागर, नागकुमारोंकी तीन पल्य, सुपर्णकुमारों की अढ़ाई पल्य, द्वीपकुमारोंकी दो पल्य तथा शेष छै कुमारोंकी डेढ़-डेढ़ पल्य उत्कृष्ट आयु होती है तथा सबकी जघन्य आयु दस हजार वर्ष है।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org