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________________ करणानुयोग-प्रवेशिका ५१.प्र.-लोककी मोटाई, चौड़ाई और ऊंचाई कितनी है ? उ०-लोककी मोटाई उत्तर और दक्षिण दिशामें सर्वत्र सात राजू है, चौड़ाई पूरब और पश्चिम दिशामें नीचे जड़में सात राज है। ऊपर क्रमसे घटकर सात राजकी ऊँचाई और चौड़ाई एक राज है। फिर क्रमसे बढ़कर साढ़े दस राजकी ऊँचाईपर चौड़ाई पांच राज है। फिर क्रमसे घटकर चौदह राजूकी ऊंचाईपर चौड़ाई एक राजू है तथा नीचेसे ऊपर तक ऊँचाई चौदह राजू है। ५२.प्र०-लोकके कितने भेद हैं ? उ०-लोकके तीन भेद हैं-- अधोलोक, मध्यलोक और ऊर्ध्वलोक । अधोलोककी ऊँचाई सात राजू है, मध्यलोकको ऊँचाई एक लाख योजन है और ऊर्ध्वलोककी ऊँचाई एक लाख योजन कम सात राजू है। ५३. प्र०-अधोलोकका विशेष स्वरूप क्या है ? उ०-आधे मृदंगके आकार अधोलोकमें नीचे नीचे क्रमसे रत्नाप्रभा शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा और महातमःप्रभा ये सात पृथिवियाँ एक-एक राजके अन्तरालसे हैं। इनका रूढ़ि नाम क्रमसे धर्मा, वंशा, मेघा, अंजना, अरिष्टा, मधवी और माद्यवो है । इन पृथिवियोंमें क्रमसे तीस लाख, पच्चीस लाख, दस लाख, तीन लाख, पांच कम एक लाख और पांच, इस तरह चौरासी लाख नरक विल हैं। पहली पृथिवीसे लेकर पांचवीं पृथिवीके तीन चौथाई भाग पर्यन्त तो अति गर्मी है और पाचवीं पृथिवोके शेष चतुर्थ भागमें तथा छठी और सातवीं पृथिवीमें अतिठंड है। इनमें रहने वाले नारकियोंको क्षणभरके लिये भी सुख नहीं मिलता। ५४. प्र०-नारकियोंकी आयु कितनी होती है ? उ०-सातों नरकोंमें क्रमसे एक, तोन, सात, दस, सत्ररह, बाईस और तेंतीस सागरको उत्कृष्ट स्थिति है तथा जघन्य स्थित प्रथम नरकमें दस हजार वर्ष है और आगेके नरकोंमें अपनेसे पहले नरकमें जो उत्कृष्ट स्थिति है वही उनमें जघन्य स्थिति है। ५५. प्र०-नारकियोंके शरीरकी ऊंचाई कितनी है ? उ०-प्रथम नरकमें शरीरकी ऊँचाई सात धनुष तोन हाय छै अंगुल है, आगेके नरकोंमें यह ऊँचाई दूनो-दूनी है। ५६.प्र.-नरकसे निकला हुआ जीव कहाँ जन्म लेता है ? उ०-नरकसे निकला हुआ जीव मनुष्य और तिर्यञ्च गतिमें ही जन्म लेता है तथा कर्मभूमिमें सैनो पर्याप्तक और गर्भज हो होता है, भोगभूमिमें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003835
Book TitleKarnanuyog Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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