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करणानुयोग-प्रवेशिका
१०. प्र०-वर्गमूल किसे कहते हैं ?
उ०-जिसका वर्ग करनेसे जो राशि होती है उसे उस राशिका वर्गमूल कहते हैं। जैसे-दोका वर्ग करनेसे चार राशि उत्पन्न होती है। सो दो चारका वर्गमूल है।
११. प्र०-प्रथम, द्वितीय आदि वर्गमूल किसे कहते हैं ?
उ०-जिस राशिका जो वर्गमल होता है उसे उस राशिका प्रथम वर्गमल कहते हैं और प्रथम वर्गमूलका जो वर्गमूल होता है उसे उसी राशिका द्वितीय वर्गमल कहते हैं। इसी तरह दूसरे वर्गमलका जो वर्गमल होता है उसे उसी राशिका तृतीय वर्गमूल कहते हैं। जैसे-पैंसठ हजार पाँच सौ छत्तीसका प्रथम वर्गमूल दोसौ छप्पन, द्वितीय वर्गमूल सोलह, तृतीय वर्गमूल चार और चतुर्थ वर्गमूल दो होता है।
१२. प्र०-~घनमूल किसे कहते हैं ?
उ.-जो राशि जिसका घन करनेसे होती है उस राशिका वह घनमूल होता है। जैसे-चारका घन करनेसे चौंसठ राशि होती है । अतः चौंसठका घनमूल चार है।
१३.प्र०-राशिक किसे कहते हैं ?
उ०-प्रमाण, फल और इच्छा ये तीन राशियाँ हैं। जिस प्रमाणसे जो फल उत्पन्न हो वह तो प्रमाण राशि और फल राशि है और जितनी अपनी इच्छा हो उसका नाम इच्छा राशि है। ये तोन राशि स्थापित करके फल राशिको इच्छा राशिसे गुणा करके उसमें प्रमाण राशिको भाग देनेसे जो प्रमाण आवे वही लब्ध होता है । जैसे-चार हाथके छियानबे अंगुल होते हैं तो दस हाथके कितने अंगल हए ऐसा त्रैराशिक किया। यहाँ प्रमाण राशि चार हाथ, फल राशि छियानवे अंगुल और इच्छा राशि दस हाथ । सो दसको छियानवेसे गुणा करके उसमें चारका भाग देनेपर दोसौ चालीस अंगुल लब्ध हुआ।
१४. प्र०-क्षेत्रफल किसे कहते हैं ? ___ उ०-लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाईमेंसे जहाँ दोकी विवक्षा हो एकको न हो उसे प्रतर क्षेत्र या वर्गरूप क्षेत्र कहते हैं और लम्बाईको चौड़ाईसे गुणा करने पर जो फल आता है उसे क्षेत्रफल कहते हैं। जैसे-चार हाथ लम्बे और पाँच हाथ चौड़े क्षेत्रका क्षेत्रफल २० हाथ हुआ।
१५. प्र०-धन क्षेत्रफल किसे कहते हैं ? । .उ०-जहाँ लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई तीनोंकी विवक्षा हो उसे धन क्षेत्र कहते हैं और उसके क्षेत्रफलको खात फल या धन क्षेत्रफल कहते हैं।
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