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करणानुयोग- प्रवेशिका
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७२४. प्र० - प्रकृतिबन्धापसरण किसे कहते हैं ? उ०- प्रकृतिबन्धका क्रमसे घटना प्रकृतिबन्धापसरण है । ७२५. प्र०—स्थितिबन्धापसरण किसको कहते हैं ? उ०- स्थितिबन्धका क्रमसे घटना स्थितिबन्धापसरण है । ७२६. प्र०- - स्थितिकाण्डक किसे कहते हैं ?
उ०- ऊपर के निषेकोंको क्रमसे नीचेके निषेकोंमें क्षेपण करके स्थितिको घटानेका नाम स्थितिकाण्डक है ।
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७२७. प्र०- - स्थितिकाण्डक आयाम किसको कहते हैं ?
उ०- एक काण्डक सम्बन्धी निषेकोंका नाश करके जितनी स्थिति घटाई हो उसके प्रमाणका नाम स्थितिकाण्डक आयाम है |
७२८. प्र० - काण्डक किसको कहते हैं ?
उ०- - काण्डक नाम पर्वका है । जैसे— ईख में पोरिया होती हैं वैसे ही मर्यादा रूप स्थानका नाम काण्डक है ।
७२९. प्र० - अनुभाग काण्डक किसको कहते हैं ?
उ०- बहुत अनुभागवाले ऊपर के स्पर्धकोंका अभाव करके उनके परमाणुओं को थोड़े अनुभागवाले नीचेके स्पर्धकोंमें क्रमसे मिलाकर अनुभागका घटाना अनुभाग काण्डक है ।
७३० प्र०—अनुभाग काण्डकोत्करण काल किसको कहते हैं ? उ०- अनुभाग काण्डकका घात अन्तर्मुहूर्त में सम्पूर्ण होता है उस कालका नाम अनुभाग काण्डकोत्करण काल है ।
७३१. प्र०—- आयाम किसको कहते हैं ?
उ०- आयाम नाम लम्बाईका है । कालके समय भी एक साथ न होकर क्रमसे एकके बाद एक करके आते हैं । इसलिये कालके प्रमाणकी संज्ञा आयाम है । कहीं-कहीं ऊपर ऊपर जो निषेकरचना होती है उसको भी आयाम नामसे कहा गया है । जैसे -स्थितिके प्रमाणको स्थिति आयाम, स्थिति काण्डक निषेकों प्रमाणको स्थिति काण्डक आयाम और गुणश्रेणीके निषेकोंके प्रमाणको गुणश्रेणी आयाम कहते हैं ।
७३२. प्र० - गुणश्रेणि किसको कहते हैं ?
- गुण कहते हैं गुणकारको । जहां गुणित क्रमसे निषेकों में द्रव्य दिया जाता है उसका नाम गुणश्रेणि है । ७३३. प्र० - गुणहानि किसको कहते हैं ?
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