________________
चरणानुयोग-प्रवेशिका अकेलेमें बातचीत नहीं करना चाहिये, वह यदि प्रश्न करे तो आर्यिकाओंकी प्रधानको आगे करके उसीके द्वारा प्रश्नोत्तर करना चाहिये। जहाँ आर्यिकाओंका निवास हो वहाँ साधुको स्वाध्याय प्रतिक्रमण वगैरह भी नहीं करना चाहिए, उठने-बैठनेकी तो बात ही दूर है।
५६३. प्र०-आयिकाओंको कैसे रहना चाहिए?
उ०-दो तीन आयिकाओंको अपनी गणिनीके साथ मिलजुलकर रहना चाहिये और लज्जा तथा मर्यादाका ध्यान रखकर अपना समय स्वाध्याय तप वगैरहमें बिताना चाहिये। किसीके घर यदि जाना आवश्यक हो तो गणिनीसे पूछकर अन्य आर्यिकाओंके साथ ही जाना चाहिये । भिक्षाके लिये भी एकाकी नहीं जाना चाहिये। घरेलू आरम्भ नहीं करना चाहिये, साधुओंके पैर आदि नहीं धोना चाहिये तथा आचार्यसे पाँच हाथ, उपाध्यायसे छै हाथ और साधसे सात हाथ दूर रह कर हो गवासनसे अर्थात् जैसे गौ बैठती है उसी तरहसे बैठकर हो नमस्कार करना चाहिये।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org