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द्वितीय संस्करण का प्रकाशकीय
'चरणानुयोग-प्रवेशिका' का प्रथम संस्करण नवम्बर १६७४ ई० में प्रकाशित हुआ था। पाठकोंने इसे बहुत पसन्द किया। यह कई वर्षसे अलभ्य हो रहा था और हमारे प्रिय पाठकगण उसकी माँग कर रहे थे। अतएव हम उसका यह दूसरा संस्करण प्रकाशित करते हुए हर्ष का अनुभव कर रहे हैं।
द्रव्यानुयोग-प्रवेशिका और करणानुयोग-प्रवेशिका ये दोनों प्रतियाँ भी अप्राप्य हो गयीं हैं । अतः उनके भी हम द्वितीय संस्करण प्रकट कर रहे हैं।
हमें हर्ष है कि ट्रस्टके इस प्रकाशन कार्यमें डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन, एम० ए०, आचार्यद्वय ( जैन दर्शन, प्राकृत एवं जैनालोजी), संस्कृत विभागाध्यक्ष राजकीय महाविद्यालय, जक्खिनी वाराणसोका सहयोग मिलने लगा है। इसके लिए हम उनके आभारी हैं।
बीना, सागर १८ दिसम्बर १६८६
(डॉ०) दरबारीलाल कोठिया
मंत्री
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