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चरणानुयोग-प्रवेशिका ___ उ०-१. कर्कशभाषा, जैसे-तू मूर्ख है, तू बैल है, २. मर्मको छेदनेवाली भाषा, ३. कट भाषा-तू अधर्मी है, जातिहीन है, ४. निष्ठर भाषा-तेरा सिर काट डालूंगा आदि, ५. परकोपिनो-तू निर्लज्ज है, ६. छेदङ्करा-झूठा दोष लगाना, ७ अतिमानिनी-अपना वड़प्पन बधारना और दूसरोंकी निन्दा करना, ८. द्वेष उत्पन्न करानेवालो, ६. प्राणियोंको हिंसा करानेवाली और १०. अत्यन्त गहित ये दस दुर्भाषाएँ हैं।
१६९. प्र०-एषणासमिति किसे कहते हैं ?
उ० -वोरचर्याके द्वारा प्राप्त हुए और श्रावकोंके द्वारा भक्तिपूर्वक दिये गये निर्दोष आहारको योग्य समयपर उचित मात्रामें विधिपूर्वक ग्रहण करना एषणा समिति है।
१७०. प्र.-आदान-निक्षेपण-समिति किसे कहते हैं ?
उ०--अच्छी तरहसे देखकर और पोछीसे पोंछकर पुस्तक वगैरहको उठाना और रखना आदान निक्षेपण समिति है।
१७१. प्र०-उत्सर्गसमिति किसे कहते हैं ? उ०--जन्तु रहित एकान्त स्थानको देखभालकर मलमूत्रादि त्यागना उत्सर्ग समिति है।
१७२ प्र०-आवश्यक किसे कहते हैं ?
उ०-रोग आदिसे ग्रस्त होनेपर भी जो कर्म प्रतिदिन किया जाता है मुनिके उस कर्तव्यकर्मको आवश्यक कहते हैं ।
१७३. प्र०-आवश्यकके कितने भेद हैं ?
उ०—आवश्यकके छ भेद हैं-सामायिक, स्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान और कायोत्सर्ग।
१७४. प्र०-सामायिक किसे कहते हैं ?
उ०-प्रिय और अप्रिय वस्तुमें राग और द्वेषके न करनेको सामायिक कहते हैं अर्थात् साम्यभावका नाम ही सामायिक है।
१७५. प्र०-सामायिकके कितने प्रकार हैं ?
उ०-सामायिकके छै प्रकार हैं-नाम सामायिक, स्थापना सामायिक, द्रव्य सामायिक, क्षेत्र सामायिक, काल सामायिक और भाव सामायिक ।
१७६. प्र०-नाम सामायिक किसे कहते हैं ?
उ०-अपने अच्छे या बुरे नामोंको सुनकर राग द्वेष नहीं करना नाम सामायिक है।
१७७. प्र०-स्थापना सामायिक किसे कहते हैं ? उ०-शास्त्रमें बतलाये गये माप वगैरहके अनुसार स्थापित मनोहर
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