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________________ ( ७८ ) मिसरख देस कंधार २५५ मीर अमीर हमीर के ८१ मुसलमान हिंदवान कौं १२६ मेटया न किस ही का मिटै १३६ मैं मका का पीर २१२ मोर धरि सीस दोऊ कंवर हरखै २६७ अ २७६ ३०९ १०६ १६२ २३३ (ब) बजत नीसारण असमान गरजै बंद-जन दरबारि द्वारि बगतर पाखर टोप बरस आठ जिम हले बही तबै पुल पतिसाहि की बहौरि राव सौं बचन बहौरयौ राव हमीर बहौरि सेख कहै वचन बालणसी रणसी रणधीर बीस सहस घृत निमक बुधि अपनी सौं आय बेर बेर पतिसाहि क्यों बेर बेर फुरवांन कहा १८० २६७ १५६ २०३ २४ २८५ यक लख हाटि बाजार १०० यते दिन साहि रनथंभ लरिये यते भये ता अंश सौं यते मीर रण पड़े १०२ यहां मरहम पतिसाहि १३२ या हमीर की राह ३०५ ये च्यारों गढ हमीर १०६ ये बातें रणधीर साहिकों ये सुनि नौबति के नाद ये सुनि बचन हमीर २७३ ये सुनि हमीर के बचन २३२, २७० ये सुनि रानि के बचन ये हमीर औतार ३१२ यौ साहि हमीर सफ्रजंग जुड़िय २६० १७८ ३१४ भया रोस रणधीर भया सीस घड़ येक भयौ कोप पातिसाहि भयो सोच मन साहि के भयौ हैफ जिव साहि के भूय समान न भवन कहूं २४४ C २०५ २६. मद मसीति मेटि जे हरखि मन द्वादस चुग पड़े महरमखां पतिसाहि सौं महरमखां यम ऊचरै महरमखां तब यौं कही मालती मरवा मोगरा मार असुर कुल मेट मिटि गये मीर अमीर मिल राव रणधीर मिल राव पतिसाहि मिलौं न साहि कौं प्राय मिले भील सब प्राय मिले भिसतनि मीर मिल सेस जे सुर रढ हमीर रणथंभ ८८ रण डूंगर पतिसाहि १४१ रणधीर कहै साहि विलंब न कीजै २०६ रय मारुत को चल ८४ रनत भंवर गढ प्रथम ३ रणत भंवर गढ छाडि १९७ रनत भंवर गढ निरखि ३२१ रनत भंवर रिखि पदम ३२४ राव तबै मन सोचि ५३ राव सनमुख कर जोरि १२ राव सार कर गहै २६५ राव सूर दो वेर सहि ११० रिति पावस बिन नीर २८७ २०१ २१ १६८ ११५ 9109 १० ३१८ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003833
Book TitleHamir Raso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1982
Total Pages94
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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