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________________ ( ७७ ) २६९ २६५ अ २६२ अ १६६ २७६ ३६ १८६ ८७ २०६ २७५ ७७ १३५ ३११ देव दोख तजि साहि करो दे हजरति स्याबासि @ लख मीर दोऊ दल सारन भये दोऊ वीर सफजंग जुरै दोय लख बरकंदांज दोय सहस तोप हयनालि दोसत होय न मिल्यो (घ) धनि धनि महिमासाहि धनि धनि राव हमीर धनि पतिबरता नारि धनि सु राव रणधीर धनि हमीर चौहान धर अंबर बीचि प्राय धुनि सीस तब साहि ३१५ तजत सुबुधि अरु कुबुधि करि तजिये स्वारथ लोभ मोह तजै दस गढ कोट लोभ तज्यो साहि अभिमान तब खड़े अलावदी तब गोलंदाज पातिसाहि सौं तब मीर गबरू कहै तब लग्या साहि उपदेस (तब) सुरजन करि सलाम तास अंस सौं भये बहोरि तिथि नवमी आसोज सुदि तीन सहस कमधज तीस सहस खरसान मीर तीन सहस नीसान तुरी सहस इकतीस तुम मके के पीर तुम सौं बली खुदाय तुम सांवंत प्रथीराज तुझे माफ तकसीर तोप रही साबूत TPO २४१ १८४ १५७ १५३ २६४ ३२२ २६८ ८ १०७ नहीं जती बिनि जोग निठे सामान सफ्रजंग कीज निन्दा खुध्या काल जुरा निस्यान सो साजि सुर सबद बज्जै २१४ १६० ३२३ १४६ २८१ २०८ ८७ थिर कोई न रहै राव २३६ पड़े सूर अरु मीर २९१ अ थिर रहैन कलि कोय गिर मेरु चलिये(पृ.) ३३ पति-भरता जे धरम इति पतिसाहि से घात कोऊ मति विचारौ २५३ दखिन देस अरु उत्तर पल में दू बकसाहि २८६ ५८ पहलै हसन हुसीन दवागीर लख येक १०१ पहिलै साहिब सुमरिय दसौ देस के मलिछ मिलि १७ पहौमि पलटि फिरि होय २९६ अ द्वादस वरस हमीर तुझे पातिसाहि तब दूत सौं दियो पदम रिखि राज करू पूरब पछिम दखिन दिल दरेग (मति करौ) ११८ प्रथम सूर दस सहंस २४८ दिली होय पतिसाहि २८२ दिली छाडि कर चले बहोरि ३७ फिर पूछत है दूत सौं दूत कहै पतिसाह सौं ६६ फिर पूछी पतिसाहि ७४ दूत दोऊ कर जोड़ि ५४ फिरयौ हूं खान सुलतान दूत दरबि ले जाह जो २०४ फेरि पूछी जब दूत ने Mm ०० X MU کر لی با ६८ ७६ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003833
Book TitleHamir Raso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1982
Total Pages94
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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