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________________ 28 : हमीररासो . बचनिका जब हमीर रनधीर सौं, बातें कही बिचारि' । को कायर को सूर, धौंस बिनि दिसटि न आवै। बिनि सरजि की साखि, सार छत्री न संभावै ।। वीर२ गिरझ अरु जोगनी रैनि चरन पहोमि न वरै । हम अलावदी साहिलौं, रैनि सार कबहूँ न करे५ ।।१३४।। बचनिका तब राव रणधीर हमीर सौं कही - दोय सहस तोप हथनालि, बांन" केबरि भरि ताने । सनमुख लड़े हमीर, साहि की संक न मान ।। घाटी घाटी साहि कै, माटी मिलत अमीर । राव जंग दिन में करै, लड़त रैनि रणधीर' ।।१३५॥ जुमे राति पतिसाहि. पीर प्रोलिया मनावै । रनतभंवर की फत देह,१° तो हम कदमौं प्रावै ।। कर जोरि साहि बंदगी कर, सुनि तारागढ के पीर। ना टूट रनथंभगढ, ना मुझि मिलै १२ हमीर ।।१३६।। १ खा. ग.घ. पद्याश के स्थान पर बचनिका है। बचनिका- राव हमीर रणधीर सौं कही। २ ख. मीर । ३ ख. चरै पहोमि न धरत पग । ४ घ जंग। ५ ख. गहू । ६ ग. नहीं है। ७ घ. बान कंवर भरि तानी । ८. ख. मिलि गये। ९ घ. राति लड़े रणधीर, ख. पागे बचनिका- जब अलावदीन पातसाहि अजमेरि का पीर प्रोलिया मनावता है, म.घ. बनिका-अलादीन पातसाहि अजमेरि के पीर मनावता है । १० ग.घ. तो कदमौं हम पावै । ११ घ. मीर । १२ ग. मिलत। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003833
Book TitleHamir Raso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1982
Total Pages94
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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