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________________ पृष्ठ २०३ ४३७ ४४२ अनुक्रमणिका [ २३ ] मूल प. टीका प० कान्हड़दासजी का वर्णन ४३४ पूरणदासजी का मूल ४३५ २०३ हरिदासजी का वर्णन ४३६ २०४ तुलसीदासजी का वर्णन २०४ मोहनदासजी का वर्णन ४३८ २०५ रामदासजी ध्यानदासजी का वर्णन ४३६ २०५ खेमदासजी का वर्णन २०५ नाथ जू का वर्णन २०५ जगजीवनजी का वर्णन २०५ सोभावती का वर्णन ४४३ २०६ निरंजन पंथ के महन्तों के स्थान २०६ चतुर्थ पंथ भक्त वर्मन समान । पुनः समुदाई भक्त वर्णन माधो कांणी का वर्णन ४४५ २०६ (परिशिष्ट में पद्यांक ११२४) ततवेताजी का वर्णन २०६ दामोदरदास का वर्णन ४४७ २०७ जगन्नाथजी का वर्णन ४४८ २०७ मलूकदासजी का वर्णन २०७ मानदास आदि का समुदाई वर्णन २०७ चारण हरिभक्तों का समुदाई वर्णन ४५१ २०८ करमानंद की टीका २०८ कौल्ह अल्लूजी की टीका ५५४-५५८ २०८ नारायणदासजी की टीका २०६ पृथ्वीराज का वर्णन ४५२ २०६ पृथ्वीराज की टीका ५६०-५६२ २०६ द्वारिकापति का वर्णन ४५३ द्वारिकापति की टोका रतनावती का वर्णन ४५४ २१० रतनावती की टीका . ५६४-५८० २११-२१३ ४४६ ४५० २१० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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