________________
चनजी कृत भक्तमाल
[२६३ गरीबदास
कुलदीप । दुती शशि करै विगासू । भाव भगति वेसास। सुतौ उर भयो परकासू ॥४३ अति चेतन सरवंगी। भज हरि हिरदै सारू । कैंधो ध्रुव मति धीर। धर्म माही इकतारू ॥४४ जनगोपाल रु जमनाबाई। गुरु दादू की कीरति गाई। ध्रुव प्रहलाद भरथरी लीला। 'मोहविवेक' ग्यांन मन मीला ॥४५ नारायण चैन रु ठाकुरदासू। सूर हरी खेमदास उदासू ।
चैनदास तिनके गुण गावै । और सबन के नाम सुनावै ॥४६ वहन हवा अरु दोन्यू बाई। टीलो चांदो हरि ल्यौ लाई। हरिदास द्वारिका सन्तदासू। चेतन वधू चरण के पासू ॥४७ वीठल केसो भगति प्रकासू। बडौ गोपाल हरि मांहि निवासू । रामदास ताकै सिख सन्तू । महा कठिन निज गुरु का मन्तू ।।४८ दूदै खवास दया दिल धारी। मिलै सन्त जन पर उपगारी। गरीबदास सौ सनमुख भालू । भजै अहोनिस दीनदयालू ॥४६ गुरु आज्ञा मैं गोविन्ददासू । राघो ईसर चरणों पासू । केवल चोखी करै कमाई। चांटी दे गोपाल सवाई ॥५० वीरमदास रहै दरवारू। करै अहोनिस पर उपगारू । गुरु गोविन्द सौं अतिस हेतू । सनमुख सेवां करै सचेतू ॥५१ सन्तदास दूदो दरवारी। वखनै को अभै विसतारी। पूरणदास र जैमल जोंगी। गरीबदास अमृतरस भोगी ॥५२ रहै सु देवगिरि असथानू । तहाँ धरै जगजीवन ध्यानू । सिख दामोदर हरिजन हरिदासू। ध्यानदास धरणी धर पासू ॥५३ रजब अजब अनूपम सारू। गुरु दादू संग भई करारू।। सिख दामोदर गोविन्द खेम। जगा हरी को हरि सू नेम ॥५४ रामदास केसो तेजो सन्तू । द्रिढदास मुरारि गह्यौ निज मंतू । परमानंद पुरौ चतुरो हुसियारू। हीरौ जैराम सेवग निज सारू ॥५५ दूजनदास करी गुरु सेवा। किये प्रशन्न गुरु दादू देवा।। सिख टीकू लाल दयाल कल्याणू। नारायण ठाकुर निर्मल प्राणू ॥५६ सन्तदास लूणो गोपालू । सबसौ सनमुख दीनदयालू । रूपौ रामल केसीबाई। सदगति. भये सन्त सुखदाई ॥५७
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org