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________________ परिशिष्ट २ दादूशिष्य जग्गाजी रचित भक्तमाल (दादूपन्थी सम्प्रदाय की प्राचीन व संक्षिप्त भक्तमाल) चौपाई ढाढियो हरि सन्तन केरो। निसदिन जस करौ में चेरौ॥ प्रथमे गुरु दादू मैं जाच्या। दिया राम धन दुख सब वांच्या ॥१ चन्द सूर धरती असमाना। इनहू कह्यौ रामको ग्याना ॥ एक पवन अरु दूजा पानी। तेज तत्त कह्यौ राम वखानी ॥२ ब्रह्मा विष्णु महेश हनुवंत भाई। इनहू हरि की सन्धि वताई ॥ गोरष भरतरी गोपीचन्द । इनहू कह्यौ भजी गोविन्द ॥३ सन्त कणेरी चरपट हाली । प्रिथीनाथ कह्यौ हरि मार्ग चाली॥ अजैपाल नेमीनाथ जलध्री कन्हीपाव । इनहू कह्यौ भज समरथ-राव ॥४ धुंधलीमल कंथड भडंगी विप्रानाथ। इनहू कह्यौ हरि देवे हाथ ॥ नागार्जुन बालनाथ चौरंगी मींडकीपाव। इनहू कह्यौ भज समरथ-राव ॥५ सिद्ध गरीबदेव लहर ताली। चुणकर कह्यौ लाय उनमनी ताली॥ गणेश जडभरथ शंकर सिद्ध घोडाचोली। इनहू कह्यौ राम लै रोली॥६ अाजू-बाजू सुकल हँस ताविया भाई। इनहू कयौ गोविन्द गुण गाई। वगदाल मलोमाच सिंगी रिष अगस्त। इनहू कयौ राम भज वस्त ॥७ रिषिदेव कदरज हस्तामल व्यास। इनहू कहयौ भज सासैं-सास ॥ ऋषि वशिष्ट जमदग्नि पारासर मुचकंदा। इनहू कह्यौ भज हरिचंदा॥ गर्ग उत्तानपाद वामदेव विश्वमात्र भाई। इनहू कयो साची राम सगाई ॥ भृगी अंगिरा कपिल दुरालभा। इनहू कहयौ हरि भज सुलभा । दुरवासा मार्कंडेय मत्तन नासाग्रह। इनहू कह्यौ हरि भज प्रेह ॥ अष्टावक्र पुलिस्त पुलह गंगेव। इनहू कयौ करो हरि-सेव ॥१० सुभर च्यवन कुंभज गजानंद। इनहू कहयौ हरि भज प्रानंद ॥ पहुपाल्या म्रदै कुंभ भुजजा भगनौ। इनहू कयौ राम भज घनो ॥११ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003832
Book TitleBhaktmal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghavdas, Chaturdas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1965
Total Pages364
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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