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सालिभद्र-रासु
इय संभलिउँ देवी चिल्लण निव-अग्गइ ।
'रयण-कॅबल मह देहि' बहु-वारं मग्गइ ॥१३ राइण सालिभद्द-घरि मंती पेसिउ पिक्खइ घोडय दंती । पभणइ कंबल-मग्गिय भद्दा 'भज्जह पाउंछण किय भद्दा' ॥१४ कंबल-वत्त कहिय जउ मंतिण निउ हक्कारइ सालिभदु हरिसिण ।
भदा आविय तउ विनवेई 'महु पुत्तु घर-बाहिरि पगु न धरेई' ॥१५ तउ तसु घरि निउ सेणिउ आवइ पुत्तह माया जाइ संभालइ । पुत्तु भणइ 'तुहु लेहि किराणं जिव तइ लीधउँ तिव इ प्रमाणं' ॥१६ माय भणइ 'वछ तुह इउ नायकु सयलह पुहविहि सेणिउ तायकु' । 'मज्स वि ऊपरि अच्छइ सामिउ मिल्हिसु हउँ भवु जिणि नामिउं' ॥१७ इय चिंतवि वंदइ निव-पाया उच्छंगे तउ गिन्हइ राया । मयणु गलइ जिव उन्हइ पडियउ तिव सो गलइ उछंगे चडियउ ॥१८ . तउ निवि मुक्कउ ठाणि पहुत्तउ सो अच्चतं भवह विरत्तउ । मज्जणु करतह रायह पडिया मुद्दा कूव-मज्झि तउ गइया ॥१९ जलि उत्तारिय मुद्दा रेहइ अंगारउ जिव भूसण फेडइ । जेमिवि निवु धवलहरि पहुत्तउ हरिसिय-मणु निय-कज्जि पयट्टउ ॥२०
. रयण-कंबल सवि फाडेवि भज्जाहँ पाउंछणय विहिय मंति-वयणेण जाणिउ । कोऊहलि पूरियउ सालिभद्द-घरि जाइ सेणिउ ॥ 'राया पहु तुह आइयउ' भद्दा सुयह कहेइ । तउ संसार-विरत्त-मणु सो सामि वंदेइ ॥२१
पत्तउ ए वीर जिणिंदु तहि पुरि साहुहि परियरिउ ।
सालिभडु ए जणणि भणेइ 'वीर-पासि हउँ व्रत गहिसु' ॥२२ १३. १. ज. इइ. १४. ४. ब. सद्दा. १५. १ ब. पडिय. ३. ब. आवी वीनेवई. १६. ४. ब. लियइ. प्रमाणउं. ७. १. ज. यउ, ब. इ४; ३. सामिउं, ब. सामिओ. ४. ज. नामि, ब नामिय. १८. ज. १. चिंतिय. २१. १. ज. फाडेइ. २२. ब. गिहेसु.
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