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भरहेसर-बाहुबलि-घोर
धर डोलइ खलभलइ सेनु दिणियरु छाईजइ । भरहेसरु चालियउ कटकि कसु ऊपमु दीजइ ॥२२ तं निसुणेविणु बाहूवलिण सीवह गय गुडिया । रिण-रहसिहि चउरंग-दलिहि बिउ पासा जुडिया ॥२३ अति चाविउँ पाँडरं होइ अति ताणिउ त्रूटइ । अति मथियँ होइ कालकूटु अति भरियं फूटइ ॥२४ मंडलियहु बाहुबलि भणइ ‘मन मरइ अखूटइ । जो भुयदंडह पडइ पासि सो किम्वइ न छूटइ' ॥२५ देवसूरि पणमेवि सयल-तियलोय वदीतउ । वयरसेणसूरि भणइ एहु रण-रंगु जु वीतं (2) ॥२६
[४] ता पहिलइ रिण-रंगि ए अनलवेगु तहि झूझियउ । पडियउ भंगोभंगि
आगिवाणि भरहह तणए ॥२७ काहं लूया कूच
काहं माथा मूडिया । के-वि किया खर-छूच विज्जाहरि विज्जा-वलिहि ॥२८ इण परि जउ भडवाउ मउडबधा ऊतारियउ । तउ भरथेसरु राउ
आपणि ऊटवणिय करए ॥२९ तावह विज्जु-पयंडु
अनलवेगु नहयलि गयउ । मोडिवि ए तिणि धय-दंड भरहेसरु विलखउ कियउ ॥३० चक्किहि ए छिंदइ सीसु भरहेसरु विज्जाहरह । इण रण-रंगि जु वीतु देवाह इँ नइ वीसरइँ ॥३१ तो बहु ए जीव-संहारु देखेविणु बाहूबलिण । भणियं पर-बल-सारु 'मुज्झु वि तुज्झु वि लागठउ ॥३२ जइ बूझिसि तो बूझि (?) काइँ माँडलिए मारिए । पहरण-पाखइ झूझु
अंगोअंगिहि कीजिसई' ॥३३ तउ धुरि ए जोवंताह आखिहि पाणिउँ आइयउँ । वादिहि ए बोलंता[ह भरथह पडिऊतरु नहि ॥३४
२१. २. जहिरिय, हल्लिया. २३. १. तिसुणे; २. रहसिंहि. २६. १. सयलु. अंतः २५ छ. २८. २ वलिहिं ५. ३२ ४. मुझु, तुझु. ३४. ३. बोलतां.
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