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बाद क्रमांक ९ वाला दोहा है । इसके बाद नोचे के पद्य अधिक हैं :दिउ दियावउ दया करउ दितु म वारउ कोइ । एउ परत्तह संबलडं विरलउ जाणइ कोइ । संपय संपय ताहं परि जि करई ताहरी सेव । आवई आवइ तांह परि जे पइ नमई न देव ॥३२ अद्धोखंडां तप किया हीयडा अन्नह जम्मि । सुक्कइ सरि सेवाल जिम मुया मणोरह तिम्म ॥३३ एकह भवि अवत्थ-सइं पावइ बहु भमाडइ । जिम नच्चावइ ए सचिहिं इह जीउ तिम नच्चेउ ॥३४ जहिं धरि अंगणि चेईहरि ऊभा मुनिवर बारि । तीह दिणि दिणि चंदणउं अंधारउं न कयाई ॥३५ अंधारउं धम्मेण विणु पसूयहं बप्पडलाह ! जाह न दोवउ गुरुवयणु उम्मीलणु नयणांह ।।३६ दिवसि चउत्थइ पंचमइ जहिं धरि साहु न इंति । तं धरु रंन्नह समसरिसु पिंडु मृगा इ भरंति ॥३७ उद्वरि जिणवर-वर-भवणु मुणिवर जे दिज्जइ दाणु । परतह लिज्जइ संबलउं तारिज्जइ अप्पाणु ॥३८ जिणवर-वयण-सिलाईयइ जांह न विद्धा कन्न । माणुस-वेसिइंहिं गोरूयहं तं तह वुद्धि न सन्न ॥३९ पर करि हियडा मनु करिहि जिण-वंदणउं न देइ । कलिज्जमि मोहण-विल्लडीय - तह लग्गाइ धराइं ॥४० -आयइ रोसडइ
जे अवहेरि करंति । ते ऊपज्जइ मणूय-भवे जणह पियारा हुंति ॥४१ लग्गइ कोहि पलेवणइ डज्झइ गुण-र यणाई । उवसमि जलि जि न उल्हवइ ति सहई दुक्ख-सयाई ॥४२ जीव वहंतां नरइ गइ अवहंतां पुण सग्गि । दुन्नि निहालिय मग्गडा जहिं भावइ तहिं लग्गि ॥४३ धन्न-विहूणा धम्म करि धम्मीण इं धनु होइ । धणु चिंतंतउ जउ मरइ बिहुँ एक्को वि न होइ ॥४४
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