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प्राचीन गुर्जर कान्य संबय ता दाणू सीलू तप्पू भावू ए गाजंति । ता गूड छालहि करह दुकालहि पोगा दिति(?) । ता एती वारा जाणी सारा आयउ कामदेउ वीरु । ता नारीकुंजर वज्ज-पंजरु रक्खिय-सरीरु ॥१६ ता सिरियामोडा बाहिं चूडा कन्नि कुंडल झलकंति । आखी आँजि भ्रमहइ भांजी घुसणि घबकंति ॥ ता सिंधु फाडिय कंचू ताडिय कोटहि नवसरि हारु । ता पाए पाला तरुणिय वाला तसु परिवार ।।१७ ता त्रीखा चोखा आडात्रेडा अनु अणयाल । ता जिव खरसाणा ताही बाणा नयण कुडाल(?) ।। ता इत्थं अवसरि ताहिं संगरि नेमिकुमार । ता आविउ इकउ ठाणि न चूकउ , करइ सिंहारु ॥१८ ता कुसलहि खेमहि पहिलउ नेमी पाडिउ छत्र । ता दंता कुंता छिरिका फिरिका केतिय मात्र । ता उद्दामू
धायउ कामू मेल्हत घाय । ता मुह. जोयावय सहु-को आवइ राणा राय ॥१९ ता नेमिकुमारी निरहंकारी जाम सु दीठु । ता धूजइ खीजइ झूरय मूरय नाहिय विसीटु ।। ता इंद्रा(?)फोडिउ तहि दप कोडिउ नेमिकुमारि । ता मोहा राया सेना-सुहडा हुई हारि ॥२० ता सजने छाडी रतने रांडी करहि विलाप । ता मोरा कंता एरिसि दंता पाडियत पाप ॥ ता रणभूमि सोधिउ सउ संबोधिउ । लोय-पसायो । ता मनोहरणहि समोसरणहि देहिय वास ॥२१ ता इंदे चंदे दे]वाणंदे कियउ जयजयकार। ता सवि इंद्राणी जीतउ जाणियं । करहि ति मंगलचारु । ता सव्वह वीरह उपरवटूि मयण-घरटू आसं वदंतु । ता पूजहु पूजहु नेमिकुमार निव्वइकंतु ॥२२
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