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२६. नेमिनाथ-धवल [कर्ता-देपाल रचना-समय : १५ वीं शताब्दी] करुणा-सायर गुण-निलउ, वर-समुदविजय-सुत अति-भलउ । तिहुयणि सयलि वखाणियए, वर माडी य सिवा-देवि राणी ए ॥१॥ वीसइ सूधउ सामलउ वरो, मति-श्रुति-अवधिइ ऊजलउ । केवडियालउ खूपु ए, बस इंद्र निहाले रूपु ए ॥२॥ लाडणु जव घोडइ चडइ ए, क्रम आठइ अरि दडवड पडए । सारथि हरि तेडावउ ए, रथि चारि तुरिय जोत्रावउ ए ॥३॥ लाडणु रहवरि आरुहइ ए, तिम तिम उपशमु गहगहए। सोल सहस गोपी मिली ए, जानउत्रि चालइ मन-रली ॥४॥ गोपीय उढणि घाट ए, वर-आगलि बोलइ भाट ए। सिरवरि झलकई छात्र ए, वर-आगलि नाचइँ पात्र ए ॥५॥ गज-रथ-तुरियह थाट ए, वर जालि जोयइ वाट ए। च्यारि चमर ढलावइ ए, वर नेमि-जिणेसर आवइ ए ॥६॥ उग्रसेण-घरि जाई ए, वर नेमि-जिणेसर गाईय ए। जीव-दया-प्रतिपालू ए, वर गायणु कवि देपालू ए ॥७॥
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