SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ थूलिभह-रासु भेटिउ साहुणा नेपाल-देस-राउ (?) लहिउण कंबल-रयणु मुणि कइ दिसि ठाउ ॥३७ वेगु करि पंथु भरि चलिउ मुणि आविओ 'वेस लइ गमइ जई' कहवि लम्बाविओ ॥३८ 'आणि मुणि कंबल-रयणु' खालि मेल्हिउ कहइ । 'पाउ मन लाइ धणि लक्खु द्रम्मह लहइ' ॥३९ 'लद्धउ लक्खु मुणि दिटु कउडी गम्मइ वेस गुणवंत जसु धम्मि चित्तु रम्मइ' । ताव उट्ठिवि गउ गुरुहु पय बालउ अक्खए 'इउ सँजम-भारु दुप्पालउ' ॥४० निय तणि जओ मुणि दीणउ थाए चणा भखेविणु मिरिय कु खाए । इह गय-खंभु करीरिहि भज्जइ थूलिभद्द जोग ति कह वि न छज्जइ ।।४१ कह नेपाल देसू भणीजइ वडइ कट्ठि तहि पुणु जाईजइ । तइँ मूरख नवि जाणिउ भेउ लक्ख रयण मुणि कंबलु एहु ॥४२ दिठ्ठ रयणु जं कदमि भरियउँ हियडउँ सुन्नउँ सहु वीसरियउ । तउ मुणिवरु मेल्हइ नीसासा 'मज्झु तणी नवि पूरी आसा ॥४३ जं जिण-धम्मह किज्जइ मूलु तं तरुणत्तणि पालिउ सीलु' । इसउ वयणु सो हियडइ धरइ मयण-मोह चित्तह उत्तरइ ॥४४ चिंतइ मुणिवरु चिहियइ निरंगू संजम-तरु म. रूयइ भग्गू । धनु धनु थूलिभदु सो सामिउ पाउ पणासइ लइयइं नामि ॥४५ ३७. १. २. ज. में नहीं है. ब. साहु, ३ ज. लहइ, कहइ, ठाइउ. ब. कहउ. ३८.१.२ ज आणि परि वेस घरि रन्नु ले आइउ सवस पुणि २ नितुलि खालि लंवाविउ. ३९. २ ज. मिल्हिवि; 1 ब. म, ४ ब. द्रम्म. ४० १. ज. लक्खु लद्धउ मुनि. गमइ, ब. लाधउ लाखु, गमइ, २ ज. चित्ति मणु रंजमइ, ब. चित्तू रमइ, २ ज. ओण परि वेस घरि मुणिहि मणु बालिय, ब. ऊटिवि, ४. ज. अक्खइ अइयारु सजम भारो पालए, ब. अक्खइउ. ४१ १२. ज. नीचउ नियमणि लीण थाइ, विणा मुरिष, स्वाई, ४ ज. त कस. ४२. १. ज नय, २ ज कष्टि, तहि वे, ३ ज मेओ. ४३. २ ब हियड सुन्नं ४४. ब मयणु ४५ २. ज भइरू यउ. ४ ज नामित Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003831
Book TitlePrachin Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Agarchand Nahta
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy