SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय खण्ड गिरनार नेमि स्तुति यादव कूल मंडण नेमिनाथ जगनाथ । त्रिभुवन जन मोहन शोभन शिवपुर साथ ।। गिरिनार शिखर सिर दिक्ख' नांण' निव्वाण । सोरीपुर नयरे चवरण जनम सुख खांणि ।।१।। इम भरते पंचइ ऐरवते वलि सार । चौवीसी जिन नी थाय जन अाधार । सुचि पंच कल्याणक वंदे पूजे जेह । निरुपम सुख संपति निश्चै पांमें तेह ॥२॥ जिन मुख लहि त्रिपदी गणधर गुथ्या जेह। वर अंग इग्यारह दृष्टिवाद गुण गेह ॥ तिणिकाल जिणेसर कल्याणक विधि तेह । समकिति थिर कारणें सेवो धरी सनेह ॥३॥ श्री नेमी जिणेसर सासन विनय रत्त । जिनवर कल्याणक आराधक भवि चित्त ॥ देवचंद्र नै सासन सनिधिकर नित मेव । . समरीजै अहनिशि श्री अंबाइ देवी ॥४॥ इति श्री गिरनार स्तुति १-गिरनार पर्वत पर प्रभु की दीक्षा २-केवल ज्ञान ३-निर्वाण हुए ४-पवित्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003830
Book TitleShrimad Devchand Padya Piyush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji, Sohanraj Bhansali
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy