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________________ द्वितीय खण्ड FE SAT श्री सम्मेतशिखर तीर्थ स्तवन ढाल - विडले भार घरगो छे राज ! वातां केम करो छो, ए देसी भेट्यो भाव धरी मैं आज, ए तीरथ गुण गिरुग्रो ।। टेक || A जंबूद्वीप दक्षिण वर भरते, पूरव देश मझार । श्री सम्मेत शिखर प्रति सुंदर, तीरथ में सरदार ||भेट्यो || १ || O वीस जिनेश्वर शिव पद पाम्या, इरण परवत नें श्रंगे । K नाम संभारी पुरुषोत्तम ना, गुरण गावो मन रंगे । भेट्यो ० || २ || [ ८१ 75 इम उत्तर दिशि ऐ ख़त क्षेत्रे, श्री सुप्रतिष्ठ नगेन्द्र । श्री सुचंद्र आदि जिन नायक, पाम्या परमानंद || भेट्यो ० || ३ ॥ इम दश क्षेत्रे वीसे जिनवर, एक एक गिरिवर सिद्ध । तित्थोगाली पयत्नां माहे, ए अक्षर प्रसिद्ध || भेट्यो० ॥४॥ 3 ए तीरथ वंद्ये सवि वंद्या, जिनवर शिव पद ठाम । वीसे टूक नमो शुभ भावे, संभारी प्रभु नाम । भेट्यो ० ॥ ५॥ ட் Jain Educationa International रण रतन जिहां लहीये । तरीये जेहने संग भवोदधि, जे तारे निज अवलंबन थी, तेहने तीरथ कहीये || भेट्यो ० || ६ || 4 35 शुद्ध प्रतीति भक्ति थी ए गिरि, भेट्या निरमल थइए । जिन तनु फरसी भूमि दरश थी, निज दरसन थिर करी || भेट्यो | | | | | For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003830
Book TitleShrimad Devchand Padya Piyush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji, Sohanraj Bhansali
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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