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________________ प्रथम खण्ड -- - . . . श्री शांतिनाथ स्तवन (ढाल- वाल्हा सुमति जिनेसर सविये ए देशी) शांति जिनेश्वर भेटीये रे, शांत सुधारस रेल ; जयो जिन शासने रे। पुष्करावर्त्त जलधर समो रे, सींचवा समकित वेल; जयो. ।।१।। मात अचिरा उर हंसलो रे, विश्वसेन राय मल्हार; जयो. । लाख वरस सवि पाउखो रे, धनुष चालीस तनु धार; जयो. ॥२॥ कुमर मंडलिक चक्री पणे रे, जिनपरणे सहस पचीस; जयो. । वर्ष लगी भोगी संपदा रे, निपजी सिद्धि जगीस; जयो. ॥३॥ हामथी विघ्न सवि उपशमे रे, सेवतां परमानंद ; जयो. । उपशम मंगल लील ना रे, स्वामी छो कल्पतरू कंद; जयो. ।।४।। देव गुरू शुद्ध सत्ता थकी रे, निर्मल सुख सुविशाल ; जयो. । विचंद्र शांति सेवा करो रे, नितवधे मंगल माल; जयो. ॥५॥ इतिश्री शांति जिन स्तवनम् Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003830
Book TitleShrimad Devchand Padya Piyush
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji, Sohanraj Bhansali
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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