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११ महान काम विजेता श्री स्थूलीभद्र
एक सुन्दर महल है, उसके चारों ओर सुन्दर उद्यान है । महल अद्भुत कला का नमना है, उद्यान सौरभ और सौन्दर्य की खान है । महल की चित्रशाला में कलापूर्ण मनमोहक चित्र चित्रित हैं, जिन्हें देखते ही पंडित भी चित्रवत् अवाक् रह जाते हैं। उद्यान में सुन्दर सुरभि पुष्पों की बहार है । वायुमन्डल सुगन्धी से भरपूर है, जो साधु सन्तों के हृदयों को भी बलात् अपनी ओर आकर्षित कर लेता है ।
महल में मधुर मनोहर अनुपम संगीत होता रहता है । पथिक बरबस खड़े रह जाते हैं । उद्यान पक्षियों के मधुर क्लरव से संगीत मय हो रहा है । फुत्रारों की जलध्वनि ताल दे रही है, यह सुन्दर छटा प्रकृति प्रेमियों को मुग्ध किये बिना नहीं रह सकती । महल में नाच रंग होते हैं, और उसे देखने के लिये शहर के गण्यमाण्य व्यक्ति आते और मुग्ध होकर गर्दन हिलाते हैं । उद्यान में की सुरभि धीर समीर के इशारों पर फुलवाड़ी की कोमल कलियाँ नृत्य करती हैं. पक्षी समूह उनका आनन्द लूटते हैं । महल में और महल के बाहर, हर जगह आकर्षण है, मनोहरता है, आनन्द है, उल्लास है और मस्ती के सामान है । यह महल उस नगर की प्रसिद्ध वैश्या कोशा का था । उसका रूप लावण्य अद्वितीय और अनुपम था। उसका संगीत बेजोड़ था और नृत्य में तो उसने संसार भर में ख्याति प्राप्त कर रखो थी ।
अच्छे-अच्छे सेठ साहूकारों के पुल और आते थे । कोई संगीतकला की शिक्षा के लिए, कोई बुद्धिमानी प्राप्त
राजकुमार उसके यहां
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