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चन्दनबाला चम्पा नगरी के राजा और उनकी रानी दोनों ही बड़े सज्जन थे। राजा का नाम था दधिवाहन और रानी का धारिणी। ये दोनों विपत्ति में पड़े हुए मनुष्यों के पूर्ण सहायक और अपनी प्रजा के पालन करने वाले थे। इनके राज्य में सब जगह आनन्द ही आनन्द दिखाई देता था। न तो लोगों को चोरों से भय था और न अधिकारियों से कष्ट । गंगाजी बारहों महीने बहती रहती थीं, जिसके कारण अन्न फल-फूल की उपज बहुत अधिक होती थी। इनकी प्रजा अकाल का तो नाम भी न जानती थी। : इनके यहां देवी के समान सुन्दर एक कन्या उत्पन्न हुई । इस कन्या का शरीर अत्यन्त कोमल और वाणी अमृत के समान मीठी पी। वह ऐसी सुन्दर तथा तेजस्विनी थी, कि देखने वाले की दृष्टि उस पर नहीं ठहरती । इस कन्या का नाम 'वसुमती' रखा गया । - वसुमती सोने के खिलौनों से खेलती हुई बड़ी होने लगी। माता पिता को वह अत्यन्त प्रिय और सखियों की तो मानों प्राण ही थी।
माता-पिता ने जब देखा कि वसुमती अब काफी समझदार होचुकी है तब उन्होंने उसके लिए शिक्षक नियुक्त कर दिये। उन शिक्षकों से वसुमती ने लिखना, पढ़ना, गणित और गायन आदि की शिक्षा पाई । फल फूल पैदा करने के काम में वह खूब चतुर हो गई और वीणा बजाने की कला में तो उसकी बराबरी का उस समय और कोई था ही नहीं।
फिर उसे शिक्षा देने के लिए धर्म-पण्डितों की नियुक्ति की
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