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( ८६ ) रखना चाहिए क्योंकि इसके बिना असावधानीसे स्वच्छ करनेमें भी विराधना हो जानी संभव है।
(१४) जल निर्मल होना चाहिये, चन्दन ऊंची जातका सुगन्धमय होना चाहिये, पुष्प खिले हुए तथा पांखडी बिना खिरे हुए, सुवाशनायुक्त एवं विवेक पूर्वक लाये हुए होने चाहिए। और उसमें अगर जरूर होना चाहिए क्योंकि सुगन्धित द्रव्योंमें यह मुख्य पदार्थ है। दोपक के लिए घृत आदि उत्तम और अपने घर का होना चाहिए। अक्षत, फल, नैवेद्य के सम्बन्ध में आगे लिखा जा चुका है अस्तु यहां फिरसे दोहराना अनावश्यक है। ___ (१५) चन्दन-पूजाके लिए केशर की अपेक्षा बरास (घनसार) अधिक होनी चाहिए। जैसे केशर मनोहर वर्ण और सुगन्ध देती है वैसे ही बरास भी खरी शीतलता देती है। पुष्प हरेक को दृष्टि से भली प्रकार देखना चाहिये। धूप के लिए कोयले सुलगे हुए होने
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