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(१८) इसी हो विषयमें जिन पूजा के उपगरणोंकी ओर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है । हरेक उपकरण स्वच्छ रहना चाहिये। कलश सीधी नली वाला होना चाहिये कि जिसमें जल का असर न रहने पावे और जीव जन्तु उत्पन्न न होवें। वह भीतर से और नली में भी अच्छी तरह पोंछा जाकर साफ होना चाहिये। इसमें जितनी लापरवाहो होगो उतनो हो अधिक जीव विराधना और माशातना होगी। यह हर समय ख्याल रखना चाहिये।
इस लेख को यहीं समाप्त किया जाता है, इसमें मुख्य २ बातोंके सम्बन्धमें बतलाया गया है इसके सिवाय दूसरी अनेक छोटी मोटी बातें ऐसी है कि जिनके द्वारा विचार शून्य मनुष्य बड़ी भूल करते हैं। उनमें कुछ भलें ऐसी भी होतो है जो अज्ञानता के कारण से क्षमा के योग्य हो सकती है परन्तु कितनीक भूलें ऐसी होतो है जो चमा के योग्य नहीं होती। इस
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