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( २५ ) साफ रखनां और उसे गृह काय में न लाना उपकरण शुद्धि है।
(छ) अस्थि (हड्डी) आदि अशुचि पदार्थ को अलग करना अस्थि द्धि है।
३ जिस मनुष्यके स्नान करने पर भी गूमड़े फोड़े घाव आदिसे रसी झरती हो या निकलती हो उसे. एवं सूतकादिके समय पूजन नहीं करना चाहिये क्योंकि इससे आशातना होती है। फोड़ा फुन्सीवाला स्वयं अग्र पूजा और भाव पूजा करें। द्रव्य पूजा की सामग्री देकर दूसरेसे करावे अथवा भावना भावे कि जो जिन पूजन करे सो धन्य है।
(४) "भावना भवनाशिनी" याने भाव कर्मोको नाश करनेवाले हैं। द्रव्य पूजा भाव वृद्धि के कारणभूत होनेसे ही आवश्यकीय और लाभदायक मानी गयी है, इसलिये द्रव्य पूजा करते समय इस प्रकार की भावना अवश्य रखनी चाहिये जिससे पूजाको सार्थकता होवे।
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