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लाया है ऐसी ही कहते हैं आवा गमनका खर्च भी होता है किन्तु उस खर्चका कोई जिक्र नहीं रहता; वैसे ही द्रव्य पूजा से भाव विशुद्धिको परम लाभ होनेसे हिंसारूप नहीं होकर निर्जरा
और पुण्य रूप ही है। किसी को दुख पहुंचाने पर पाप होता है लेकिन एक मास्टर विद्यार्थीको सदाचारी और गुणी बनाने की भावना से प्रेरित होकर शिक्षा ताड़नादि देता है तथापि उसे कोई बुरा नहीं कहते. उसको अच्छा समझा जाता है। इसी तरह माता पिता अपने बच्चे को सदाचार में रखने के लिये शिक्षादि देते हैं। डॉक्टर एक रोगी के वृण के काटता है उस समय उस रोगी को दुःख अवश्य होता है तथापि वह कार्य डाक्टर उसके अच्छेके लिये करता है, इससे उसका उपकार समझा जाता है इत्यादि अनेकों दृष्टान्त है।
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