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मूर्ति पूजा का उद्देश्य जिनेश्वर की मूर्ति जिनेश्वर समान हो लाभदायक होनेसे जो प्रभु उपासनाका उद्देश्य है वही मूर्ति पूजाका उद्देश्य है अब वह उद्देश्य क्या है ? इसको संक्षप से नीचे लिखा जाता है। विस्तार से जानने के लिये देखो "उपासना तत्व” १ जैन सिद्धान्तोंका कथन है कि :प्रत्येक आत्मा सत्ता या निश्चय नयके अनुसार परमात्म स्वरुप हे। संसारी आत्माकी यह परिस्थिति कर्मों के बश है और आत्मा पर पुद्गल विषय में आसक्त होकर कर्म बन्धन करती है
आत्मा की यह सकर्म सांसारिक अवस्था है। वस परमात्मा और आत्मामें यदि अन्तर है तो मात्र यही, संसारी आत्मा कर्म सहित है, परमात्मा कर्म रहित शुद्ध स्वरुप । इसलिये आत्मा की परम विशुद्ध अवस्था हो का नाम परमात्मा है। उन परमात्मा की सेवा
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