SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१२. ) जाता है वहां गमनागमन तो नहीं है, अर्थात स्नात्रजल किसी के पैरोंके नीचे नहीं आना चाहिए। - १३ जहां जहां अधिक गर्भगृह होते हैं वहां सारे ही गर्भगृहोंके जलको एकत्रित कर गिराया जाता है, पर इसके बीचमें मक्खी आदि जन्तु उस जल में पड़कर नष्ट हो जाते हैं, इसलिए ज्योंही जिस गर्भगृह में पूजा हुई त्योंही उस स्नात्रजल को योग्य स्थानमें गिरा देना चाहिए, और यदि सारे ही गर्भगृहोंके जलको इकट्ठा करके एक साथ ही गिराना हो तो स्नात्रजल को किसी आवरण (ढक्कन) वाले पात्रमें रखना चाहिए और पहिले के स्नात्रजल को ढकना कभी नहीं भूलना चाहिए। कार्यकर्ताओंको उचित है कि वे ऐसे ढक्कनवाले पात्र अवश्य रखें। १४ चूहा, गिलहरो, मक्खी, कबूतर आदि कोई भी जन्तु वो इनका कलेवर अथवा इनकी " हड्डी वगैरह मन्दिरजीमें कहीं भी हो तो उठाकर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003826
Book TitleJinraj Bhakti Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanmal Shankardan Nahta
PublisherDanmal Shankardan Nahta
Publication Year
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy