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शाति का विकाश प्रसार सम्बंध बिवरण तैयार करना असंभव कार्य है, फिर भी प्रस्तुत इतिहास में पल्खीवाल ज्ञाति कहाँ से कहाँ गई, कहाँ बसी का कुछ लेखा दिया गया है । इस प्रकरण में प्रसार और गोत्रों को लक्ष्य कर के प्राप्त सामग्री के आधार पर जितना पूरा और अधिक वर्णन दे सकता हूँ उतना देने का प्रयास किया है।
आज तो पल्लीवाल बंधु भारत के प्रायः सर्व भागों में पाये जाते हैं परन्तु १६-१७ शताब्दी में ये उत्तर पूर्व १. जगरोठी (जयपुर राज्य), २. वराभरी (भामरी), ३. मेवात (अलबर राज्य), ४. माडबोई (पहाड़ घोई), ५. कांठेर (कांठेर भरतपुर), ६. आगर वाटी (प्रागरा प्रान्त), ७. डांग, ८. करौली (करौली राज्य), और ६. ग्वालियर (मध्य प्रदेश मुरैना आदि) इन 8 भागों में और दक्षिण पश्चिम के जैसलमेर-राज्य, बीकानेर राज्य तथा कच्छ, कठियावाड़ सौराष्ट्र के कोई-कोई पुर, नगरों में रहते थे। उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, सिरोही के राज्य तो पाली के चतुर्दिक आ गये हैं। अत: इनका इन नगरों अथवा इन राज्यों में पाया जाना तो बहुत पहिले से था। सतरहवीं शताब्दी पश्चात् इन नगर और प्रान्तों में भी संख्या बढ़ी। छीपा पल्लीवाल अलीगढ़, फिरोजाबाद, कन्नौज, फरुक्खावाद, हापड़, देहली, अतरौली, छतारी, कोड़ियागंज, पिडरावल, पहासु, सासनी, काजमाबाद में बसे हुए थे।
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