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इस पुस्तक में यथा सम्भव पल्लीवाल जैन रत्नों के परिचय देने का प्रयत्न किया गया है परन्तु फिर भी २० वीं शताब्दी के कई रत्नों का जैसे श्री सन्तलालजी, श्री शङ्करलालजी, श्री गणेशीलालजी, श्री शादीलालजी, श्री वसन्तीलालजी, श्री मोतीलालजी, श्री रतनलालजी, श्री भज्जूलालजी आदि जिन्होंने पंच महाव्रत धारण करके दीक्षा अङ्गीकार की थी, उनके परिचय प्राप्त करने में मुझे सफलता प्राप्त नहीं हो सकी, जिसका खेद रहा है। फिर भी जितनी सामग्री संग्रह की जा सकी है, उसके प्रकाशन से श्री पल्लीवाल जैन जाति के गौरव पर अच्छा प्रकाश पड़ा है। आशा है कि इतिहास प्रेमियों के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।
इस पुस्तक की सामग्री संग्रह करने में उपरोक्त चारों विद्वानों के अतिरिक्त जिस किसी भाई से मुझे तनिक भी सहयोग मिला है उन सभी कृपालुओं का हृदय से आभार मानता हूँ।
विनीत-नन्दनलाल जैन, भरतपुर (राजस्थान)
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