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१४४ गच्छीय श्री शान्तिभद्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठित श्री विमलनाथ पंचतीर्थी श्री पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है।४
हिन्डोन-वि० सं० १७९३ वैसाख शु० ३ शनिश्चर को नगरवासी के पल्ली० नौलाठिया गोत्रीय श्री लक्ष्मीदास पत्नी धौकनी के पुत्र शाह देवीदास द्वारा कारित एवं विजय गच्छीय श्री तिलकसागर प्रतिष्ठित श्री ऋषभदेव प्रतिमा जिसकी प्रतिष्ठा हिन्डोंन में ही हुई थी। यह लेख श्री मन्दिर जी के दरवाजे पर
उक्त शाह देवीदास ने उक्त गच्छीय आचार्य से वि० संवत १७६६ फा० शु० ७ शुक्रवार को श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई थी। वह प्रतिमा भी उक्त मंदिर में ही विराजमान
है।"
___ आगरा-वि० सं० १३६६ की पल्ली० श्रे० भीम के पुत्र शैल और नेल द्वारा कारित एवं राजगच्छीय हंसराजसूरि द्वारा उपदेशित श्री शांतिनाथ प्रतिमा श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है।
१-अर्बुद प्रा० ० लेख सं० ले० ४६२ २-३-बीकानेर जै० ले० संग्रह० ले० १५३६ ४-प्रतिष्ठा ले० सं० (विनय सागर जी) प्र० भा० ले० ७३८ ५-प्रथम मूत्ति लेख में 'वास नागर नगरे' और द्वि० मूति लेख ____में 'हमारणा वसे' पढ़ा गया है। ६-श्रो चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर भंडार० आगरा० ले० १८
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