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करना पड़ा । इसलिए बरारा त्याग कर आपने आगरा में धंधा चालू किया; परन्तु आगरा में भी आप को लाभ प्राप्त नहीं हुा । फिर आप जयपुर और जयपुर से अजमेर आ गये, जहाँ लाला कन्हैयालाल जी नौकरी कर रहे थे। अजमेर की दुकान में अच्छा लाभ प्राप्त हुआ और आर्थिक स्थिति पहले से कहीं अधिक अच्छी हो गई । सन् १९२३ में इस दूकान का बँटवारा तीनों भ्रातानों में हुअा और प्रत्येक को अच्छी धन राशि प्राप्त हुई। यह दुकान भेदिलाल कपूरचन्द्र के नाम से चलती थी।
श्री जुगेन्द्र चन्द्र जी
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