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सत्कार किया और तीर्थ में पूजा, चढ़ावा आदि विषयों में सराह नीय उत्साह से द्रव्य व्यय किया । वह संघ यात्रा - समस्त पल्लीवाल ज्ञाति की एक प्रतिनिधि सभा भी कही जा सकती हैं; जिसमें ज्ञाति के दो तिहाई गौत्रों ने अपनी उपस्थिति दी थी । इस यात्रा का वर्णन राव रायों की पोथियों में बहुत ही ऊंचे स्तर पर मिलता है। श्रेष्ठि तुलाराम हरिदास ( राम ) ने राव अथवा राय लोगों को ७२ बहत्तर ककुण्डल जिनको प्रान्तीय भाषा में गुदा गुरदा कहा जाता है, दान में दिये थे और तभी से तुलाराम का गोत्र बहतरिया कहलाने लगा। इससे पूर्व यह कुल मंडेलवाल गोत्रीय कहलाता था ।
परसादीलाल को पोथी में तुलाराम के पूर्वजों को इस क्रम से एवं इस भांति लिखा है। साहू धोपति - छिंगालक्ष्मी - खीवा परसा - लोधु -हरी मोहन - चैनदास - धर्म दास गिरधर - गवासीराम गंगाराम - खेमकरण- घासीराम ।
गंगाराम
खेमकरण
लालमल
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नैनीराम कपूरचंद हरिदास तुलाराम
चनदास
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घासीराम
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दुलीचंद सुन्नमल जयदास
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मोहन सुन्दर
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