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पल्लीवालज्ञातीय संघवी तुलाराम उन्नीसवीं शताब्दी में पल्लीवाल ज्ञातीय तुलाराम श्रेष्ठि एक अत्यंत धर्मश्रद्धालु श्रीमन्त सज्जन हो गया है। वह श्रेष्ठि खेमकरण का कनिष्ठ पुत्र था। कपूरचंद और हरिदास उसके दो बड़े भ्राता थे । यह चांदन गाँव अथवा इसके निकट के ही किसी ग्राम में रहता था। उसने अपने ज्ञाति के पैतालीस गोत्रों के कुटुम्बों को निमंत्रित करके श्री महावीर जी तीर्थ के लिये संघ निकाला । इस संघ यात्रा में गोत्र ४५ में से ३३ तेतीस गोत्रों के कुटुम्ब सम्मिलित हुए थे, उन तैतीस गोंत्रों के नाम निम्नवत् हैं;:१. वडेरिया, २. वरवासिया, ३. कोटिया, ४. खैर ५. पचोरिया, ६. जनूथरिया, ७. वारौलिया, ८. गिदौराबक्सह. मड़ीवाल गिदौरिया, १०. नगेसुरिया, ११. सगेसुरिया, १२. डगिया, १३. निहानिया, १४. व्यानिया, १५. खोहवाल, १६. भावरिया, १७. डडूरिया, १८. बारीवाल १६. गुदिया, २०. विलनमासिया, २१. दिवरिया, २२. बहेत्तरिया, २३. वैद्य भोगिरिया, २४. चकिया, २५. लोहकरेरिया, २६. डरिया २७. कुरसोलिया, २८. दादुरिया, २६. नागेसुरिया, ३०. नौलाठिया, ३१. जौलाठिया, ३२. राजौरिया, ३३. भड़कोलिया।
तुलाराम ने मामन्त्रित स्वज्ञातीय बन्धुओं का भारी सम्मान
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