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तीन लिंग हे चेतन! रूपी पदाथों का द्रव्य दृष्टि से अवलोकन करने पर लिंग तीन प्रकार के दृटि गोचर होते हैं। इन्हीं लिंगों में विश्वास करके तू अपने पराये के मोहजाल में आबद्ध होता है। किंतु जो लोग लिंगजाल से मुक्त भावदृष्टि से आत्म स्वरूप देखते हैं, वे लैंगिक विषय विकारों से अनाशक्त रहते है । वह आत्मा को शन्दादि विषय से पर देखते हैं। लिंग दो प्रकार के हैं। १भावलिंग २द्रव्यलिंग १-भावलिंग
भावलिंग का स्वरूप अभ्यन्तर परिणामों के अधार पर निश्चित किया जाता है । ( परमात्मा ) पुरुषलिंग ( अन्तरात्मा स्त्रीलिंग बहिरात्मा:नपुश लिंग २-द्रव्य लिंग...
द्रव्य दृष्टि से दिखाई देने वाले अवयवों की भिन्नता से जो भेद पुरूष, स्त्री, नपुसंक के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं वे द्रव्यलि।
किन में द्रन्य लिंग की प्राप्ति का आधार भाव लिंग एगद.। यों
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