________________
शान्त सुधारस
मारनेवाले की प्रशंसा करना, शाबासी देना। दयाहीन, मदोन्मत्त पापमतिपूर्ण, हिंसादि कार्यों में कुशल, नास्तिक, सदैव मारने व मरवाने की घात में ही लगे रहना। पापोपदेशी मारने-मरवाने में ही सुख माननेवाला। ऐसों का ही संग चाहनेवाला, कोई शूरवीर का संग मिल जाय तो मैं इन सारे जीवों को एक ही साथ खत्म कर डालूँ, इनकी चटनी बना द, इनका बलिदान कर ब्राह्मण देव-दैवी कुल गुरूओं को प्रसन्न करूं। मेरी कीर्ति होगी, इसीसे मुझे शान्ति मिल सकती है। तभी मेरा जीवन सफल है। इत्यादि महारौद्र परिणाम, जिससे कि दुर्गति प्राप्त हो, ऐसी एकाग्रता को हिंसानुबंधी रौद्रध्यान कहते है। २.-मृषानुबंधी रौद्रध्यान
असत्य भाषण, अनर्थकारी मनः परिणाम, पाप मल से मलिन हृदय, दुष्ट परिणाम। वंचक, झूठा, छली, प्रपंचपूर्ण युक्ति प्रयुक्तियों से नए शास्त्रों का विधान कर, अथवा अपनी इच्छानुसार अर्थ निकाल कर, दयाहीन धर्म मार्ग का प्रवर्तन करें। धर्म की आड़ लेकर निवध विषय भोगों का सेवन करें। मायाचार से भोलेमाले सरल भद्रं प्रकृति लौंगों की
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org